बगल तथा पसीने से दुर्गन्ध क्यों (why smelling from Sweat)
बहुत से व्यक्तियों के पसीने से बदबू आती है। कुछ लोगों के पसीने में दुर्गन्ध कम होती है परन्तु कुछ लोगों के पसीने में दुर्गन्ध अत्यधिक होती है और उनके पास बैठना बड़ा मुश्किल होता है।
इसका कारण व्यक्ति के खानपान में छुपा है। आयुर्वेदिक शास्त्र में आहार तीन प्रकार का माना गया है प्रथम सात्विक आहार, द्वितीय राजसी आहार और तृतीय तामसिक आहार होता है। प्रथम सात्विक आहार सबसे श्रेष्ठ कहा गया है जो पूर्ण शाकाहारी आहार होता है मानव शरीर के लिए अति उपयोगी आहार है इसके सेवन से शरीर पुष्ट एवं बलवान बनता है तथा शरीर निरोगी रहते हुये लम्बी उम्र प्राप्त करता है। सात्विक आहार सेवन से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, जिससे शरीर ज्यादा समय तक निरोगी रहता है।
द्वितीय राजसी आहार- यह आहार शाकाहारी होते हुये भी ज्यादा मिर्च, मसाले, तेल, घी का उपयोग कर बनाया जाता है, जो कि अत्यधिक ही चटपटा एवं स्वादिस्ट बनता है। यह जिव्हा के लिये तो अधिक स्वाद देता है, परन्तु शरीर के लिये बहुत लाभदायक नहीं रहता है। इसके लगातार सेवन से शरीर की पाचन क्रिया बिगड़ जाती है और शरीर को कुछ समय बाद अनेक रोग घेर लेते हैं।
तृतीय तामसिक आहार- यह आहार सबसे निकृष्ट होता है। यह शरीर की कार्य प्रणाली को ही प्रभावित करता है। इसके अन्तर्गत मांस, मछली, अंडे को अत्यधिक मसाले में पकाकर खाया जाता है, जो मानव शरीर के लिये उपयोगी नहीं है। इसके खाने से पाचन क्रिया देर से होती है और कुछ समय बाद तो पाचन क्रिया एवं शरीर की अन्य क्रियायें भी बिगड़ जाती हैं। पूरे शरीर से पसीने में बदबू आने लगती है।
इस तरह का खाना खाने एवं शराब पीने से शरीर के साथ पसीने में बदबू आनेे लगती है। इसके साथ ही ज्यादा मात्रा में लहसुन एवं प्याज का सेवन भी पसीने में बदबू पैदा करता है। अतः तामसी आहार नहीं खाना चाहिये, साथ ही लहसुन, प्याज और लाल मिर्च का सेवन कम मात्रा में करना चाहिये। यहां हम कुछ घरेलू उपचार दे रहे हैं, जो आपके पसीने की बदबू को कम करेंगे।
एक लीटर पानी में 20 ग्राम गुलाब के ताजे फूल व नागर मोथा 100 ग्राम पीस कर डाल दें और उस पानी को आग में उबालकर ठंडा कर लें। सुबह एवं शाम को पहले इस पानी से पूरे शरीर में मालिश करें, तत्पश्चात 30 मिनट बाद स्नान कर लें। ऐसा सुबह एवं शाम दोनों समय लगभग 15 दिन तक करने से बगल एवं पसीने की बदबू कम हो जाती है।
पान के पत्ते 30 नग एवं खस की जड़ 50 ग्राम। इन दोनों को चटनी की तरह पीसकर 100 ग्राम तिल के तेल में मिलाकर धीमी आंच में पकायें, जब सभी जलीय अंश जल जाये और तेल शेष रहे तो उसे ठंडा होने पर छान कर एक शीशी में रखें। प्रतिदिन स्नान के आधा घंटे पहले उस तेल को बगल एवं पूरे शरीर में लगायें। इसके बाद स्नान करें। इस प्रकार कुछ दिन करने से बगल एवं पसीने की दुर्गन्ध कम होने लगती है।
गौमूत्र अर्क में कपूर डालकर प्रतिदिन शरीर में लेप करें और आधा घंटा बाद स्नान करें। इस प्रकार लगातार कुछ दिन करने से बगल एवं पसीने की दुर्गन्ध धीरे-धीरे कम होने लगती है।
कोई टिप्पणी नहीं