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स्वस्थ शरीर के लिये आवश्यक है गहरी श्वांस

Swasth sharir ke liye awashyak hai gahari shwans

स्वस्थ शरीर के लिये आवश्यक है गहरी श्वांस, 

Swasth sharir ke liye awashyak hai gahari shwans

मानव शरीर को स्वस्थ और सबल बनाने के लिए जितनी आवश्यकता शुद्ध भोजन एवं साफ पानी की है, उतनी ही आवश्यकता प्राणयुक्त ऑक्सीजन मिश्रित वायु की है। प्रायः मनुष्य श्वास को लयबद्ध तरीके से नहीं लेता है और न ही उसका ऐसा कोई विचार ही होता है। आवश्यकता के अनुसार शरीर ही इसकी पूर्ति श्वास प्रश्वास के माध्यम से करता रहता है। इसी कारण शरीर को पूर्ण स्वस्थ रहने में परेशानी होती है।

शरीर के अन्दर स्थापित जीव कोषों को रक्त, वायु और विद्युत इन तीनों की जरूरत है। इन तीनों घटकों की पूर्ति शरीर को जितने अच्छे से होती है, उसी मात्रा में शरीर के सभी अंग सजीव और सुदृढ़ होते हैं तथा अपने सभी निर्धारित क्रियाकलाप सुचारू रूप से कर पाते हैं। इन तीनों में से अगर किसी एक की कमी पड़ जाये, तो शरीर निस्तेज, कमजोर और रोगों से घिरने लगता है। इसलिए आवश्यक है कि घटकों की पूर्ति निरन्तर बनी रहे और शरीर सामान्य एवं सन्तुलित रूप से क्रियाशील बना रहे।

प्रायः हम जो श्वास लेते है, उससे शरीर सामान्य ढंग से ही चल पाता है, क्योंकि पर्याप्त मात्रा में हमें ऑक्सीजन नहीं मिल पाती है। इस कारण शरीर की कार्यक्षमता कमजोर पड़ने लगती है। कार्य करने में आलस्य आता है। काम करने की इच्छा कम होती है। ज्यादातर आराम करने की इच्छा रहती है। चेहरा कान्तिहीन हो जाता है। दौड़ने पर व्यक्ति जल्दी हांफने लगता है, यहां तक की ऐसी स्थिति में जीवन की घड़ियां भी कम हो जाती हैं।
शरीर को स्वस्थ एवं सुदृढ़ बनाये रखने के लिए आवश्यक है कि हमारे शरीर को शुद्ध भोजन एवं शुद्ध पानी के साथ ही शुद्ध ऑक्सीजन की भी पूर्ति पर्याप्त मात्रा में होती रहे। इसके लिए आवश्यक है कि प्रतिदिन की दिनचर्या में गहरी श्वास लेने की आदत डालें। इससे हमारे शरीर में वायु के साथ ऑक्सीजन पर्याप्त मात्रा में जायेगी।
इस प्रक्रिया से रक्त शुद्ध होकर पूरे शरीर में दौड़़ेगा और शरीर के समस्त अंग स्वस्थ एवं क्रियाशील बनेंगे। शरीर स्वस्थ और निरोगी बनेगा।

शरीर शिक्षा के वैज्ञानिकों ने भी गहरी श्वास लेने पर बल दिया है। गहरी श्वास का अभिप्राय है हमारे फेफड़ों में श्वास पूरी भरे और निकले। इससे फेफड़े पूरी तरह फैलते हैं और वहां पर पहुंची हुई वायु के साथ ऑक्सीजन को फेफड़े पूरी तरह से अपने कोषों में अवशोषित करके रक्त को शुद्ध करते हैं। यही रक्त समस्त शरीर में भ्रमण करता हुआ शरीर के अंगों को पुष्ट करता है।

इस प्रकार गहरी श्वास को लयबद्ध तरीके से लेने की प्रक्रिया को प्राणायाम कहते हैं। सामान्य से अधिक लाभ लेने के लिए नियमित प्राणायाम करना आवश्यक है। प्राणायाम बन्द सीलनयुक्त कमरे में नहीं करना चाहिए। इससे इच्छित परिणाम प्राप्त नहीं होते हैं। प्राणायाम सुबह खुले वातावरण में बैठकर करें, जहां वायु प्राकृतिक हरियाली और सूर्य किरणों से गुजरकर आये। तभी इच्छित परिणाम सामने आते हैं और शरीर सुदृढ़ व चेतनावान् बनता है। और, हमारे शरीर में रोगों से लड़ने की क्षमता आती है।
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