गरीबों का अमृत है ‘‘सत्तू’’
गरीबों का अमृत है ‘‘सत्तू’’ (SATTU is Amrit of poor)
सत्तू का नाम सुनते ही मन में खाने की इच्छा जाग्रत हो जाती है। गर्मियों के मौसम में गरीबों का अमृत है सत्तू। गावों-देहातों में किसान, आज भी गर्मियों के मौसम में इसी का नाश्ता करते हैं। इसे गेंहूँ, जौ और चने को विशेष विधि से भूनकर बनाया जाता है।सर्वप्रथम चने को शाम के समय पानी में भिगो दिया जाता है। सुबह जो चना फूल जाता है, उसे अलग कर लेते हैं। पानी में तैरने वाला चना या न फूलने वाले चने को हटा देते हैं। पूरे फूले हुये चनों को धूप में आधा सुखाते हैं, इसके बाद उसे भरभूंजा के यहां भुनने के लिये भेजते हैं। इसे घर में भी भून सकते हैं। एक मिट्टी की या लोहे की कड़ाही में बालू डालकर उस बालू को गरम करते हैं, इसके बाद चने को उस बालू में डालकर भूनते हैं। जब चना भुन जाता है, तो उसके छिलके को निकालकर महीन पीस लेते हैं। इसी प्रकार जौ और गेहूं को भी भूना जाता है।
कहीं-कहीं केवल चने का ही सत्तू बनाया जाता है, तो कहीं पर जौ, गेहूं और चने को मिलाकर सत्तू बनाया जाता है। वैसे तीनों को मिलाकर बनाया गया सत्तू ज्यादा लाभदायक होता है। यह शरीर की गर्मी को शान्त करता है।
गर्मी के मौसम में सत्तू को पानी में घोलकर पीना चाहिये। सत्तू में भुना जीरा, काला नमक, गुड़ या चीनी मिलाकर पीना चाहिये। यह बहुत ही स्वादिष्ट, बलदायक, वीर्यवर्द्ध्रक, रुधिरवर्धक, तृप्तिकारक, गर्मी को नष्ट करने वाला व कब्ज नाशक है। गर्मियों के मौसम में सत्तू को सुबह घोलकर पीना चाहिये। खाना खाने के बाद या दिन में कई बार नहीं खाना चाहिये। सूखा सत्तू मुंह में फांक कर ऊपर से पानी पीकर नहीं खाना चाहिये। सत्तू शीतल, कफ-पित्त नाशक, अग्रि को जाग्रत करने वाला तथा नेत्र रोगों में लाभकारी है।
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