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हाई ब्लडप्रेशर ( उच्च रक्तचाप )

हाई ब्लडप्रेशर ( उच्च रक्तचाप ), High Blood Pressure

मानव शरीर का प्रमुख अंग हृदय है, जो उसके विभिन्न अंगों में धमनियों के माध्यम से रक्त की आपूर्ति करता है ये धमनियाँ पेड़ की टहनियों की तरह हैं, जो समस्त शरीर से होते हुए आखिर में फेफड़े में पहुँचती हैं। वहाँ सांस के द्वारा कार्बन डाई आक्साईड निकलकर शुद्ध सांस द्वारा आक्सीजन शोषित होती है और समस्त शरीर में फैला कर शरीर का पोषण करती है। हृदय एक निश्चत दबाव में ही रक्त को समस्त शरीर में भेजता है। इसकी एक मिनट में औसतन गति 72 बार धड़कने की होती है जो एक स्वस्थ्य व्यक्ति में होती है और यही गति जब बढ़ने लगती है तो उसे हाई ब्लड प्रेशर के रूप में देखा जाता है।

हाई ब्लड प्रेसर को बढ़ाने वाले कारण -

जन्म के समय मनुष्य का रक्तचाप सबसे कम रहता है। जैसे -जैसे उम्र बढ़ती जाती है, रक्तचाप भी बढ़ता है व एक निश्चित दबाव में ही रहता है। परन्तु, आज के प्रदूषण की वजह से शरीर में शुद्ध वायु का अभाव हो जाता है। इससे रक्तचाप बढ़ने की सम्भावना बढ़ जाती है। महिलाओं की अपेक्षा पुरुषों में हाई ब्लडप्रेशर ज्यादा होने की सम्भावना रहती है। यह रक्तचाप कुछ परिवारों में आनुवंशिक भी होता है। शराब पीने, धूम्रपान से तथा नमक अधिक सेवन से रक्तचाप अधिक होता है। कुछ दवायें भी ब्लड प्रेसर हाई करती है। सबसे ज्यादा प्रभावक आज का खान-पान है, जो शरीर को पौष्टिकता कम और रासायनिक तत्त्व ज्यादा देता है। इससे शरीर की प्रतिरोधक क्षमता घटने लगती है और यह हाई ब्लड प्रेसर का कारण बनती है।

ब्लडप्रेशर से होने वाली हानियाँ -

शरीर के हर भाग में पतली-पतली नस-नाड़ियाँ रहती हैं। जब ब्लडप्रेशर हाई होता है, तो इन पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है। जो नाड़ी इस दबाव को बर्दाश्त नहीं कर पाती हैं, वे फट जाती हैं और वहां से खून बहना चालू हो जाता है। जिस प्रकार नाक के अन्दर की नाड़ी फटने से रक्त बहने लगता है जिसे आम बोल चाल मे नकसीर फूटना कहते है। इसी प्रकार जब कोई कमजोर नाड़ी फेफड़े के अन्दर फूटती है तो कफ से खून आने लगता है। इसी तरह मष्तिस्क की नसें भी फटती हैं। रक्तचाप के अधिक समय तक बढ़े रहने से महीन नसों की अन्दर की दीवारों में चर्बी के जमाब से वे कड़ी एवं संकरी हो जाती है। इससे शरीर के विभिन्न अंगों में खून की पूर्ति नहीं हो पाती है और उस अंग का रोग बन जाता है। यही बढ़ा ब्लडप्रेशर जब गुर्दे पर दबाव ड़ालता है, तो गुर्दे का कार्य प्रभावित होता है यहाँ तक कि गुर्दे फेल भी होने लगते हैं। बढ़े हुये रक्तचाप से आँखों की रोशनी भी प्रभावित होती है। यही दबाव लगातार जब हृदय पर पड़ता है, तो एन्जाइन हार्ट अटैक की स्थिति बन जाती है। हाई ब्लडप्रेशर से व्यक्ति की उम्र घटने लगती है, सोचने समझने की शक्ति भी क्षीण होने लगती है।

हाई ब्लडप्रेशर से कैसे बचें -

1. नमक का उपयोग कम करना चाहिये क्योंकि वैज्ञानिक प्रयोगों से पता चला है कि नमक अधिक खाने से रक्तचाप बढ़ता है, अगर जिसको पता चल चुका है कि उसे हाई ब्लडप्रेशर है तो नमक की मात्रा खाने में कम कर देना चाहिये।
2. धूम्रपान एवं शराब आदि पीने से शरीर की स्थिति अनियंत्रित होती है और ब्लडप्रेशर हाई होता है। इसलिये भूल कर भी ऐसी चीजों का सेवन न करें। बीड़ी, सिगरेट, गांजा, अफीम, चरस, हुक्का, आदि का धुआँ फेफड़े को बहुत ज्यादा नुकसान पहुँचाता है और वही धुआँ आक्सीजन के साथ मिलकर रक्त में पहुंच कर उसे भी दूषित करता है, वही रक्त समस्त अंगो में जाकर उनको कमजोर करता है और इससे तरह-तरह की अनेकों बीमारियाँ पैदा होने लगती है।
3. मानसिक उलझन से बचना चाहिये तथा ज्यादा मोटापा भी ब्लडप्रेशर हाई करता है। अतः मोटापा ज्यादा न बढ़ने दें।
4. रक्तचाप के रोगियों को संतुलित भोजन करना चाहिये। हरीसब्जी ज्यादा मात्रा में खानी चाहिये और सलाद भी भरपूर मात्रा में लें तथा फास्ट फूड जैसी चीजे न खायें। घी तेल का सेवन कम मात्रा में करे एवं शरीर की आवश्यकता से अधिक भोजन न करें।
5. हल्के योगासन, प्राणयाम एवं ध्यान प्रक्रिया नियमित करना चाहिए। भारी योगासन न करें परन्तु कम से कम 30 मिनट योगासन करने का समय अवश्य दें। इसके बाद सुखासन या जिस आसन में आप परेशानी महसूस न करें, उसमें रीढ़ की हड्डी सीधी कर बैठ जाये एवं धीरे-धीरे गहरी सांस अन्दर तक लें और धीरे-धीरे बाहर निकालें। इस प्रकार 15 से 30 बार प्रतिदिन करने का अभ्यास करें तथा फिर शांत चित्त होकर बैठ जायें एवं अपना ध्यान दोनों भौहों के मध्य आज्ञाचक्र में केन्द्रित करने की कोशिश करें और मन ही मन अपने शरीर में भाव रखें कि मेरा ब्लडप्रेशर सामान्य हो रहा है। यह प्रक्रिया कम से कम 10 से 20 मिनट तक अवश्य करें। आप देखेंगे की आपका ब्लड प्रेसर सामान्य आने लगेगा। शरीर की कार्य करने की क्षमता बढ़ने लगेगी।
6. उक्त रक्तचाप से कोलेस्ट्राल का अधिक संबंध नहीं है। परन्तु, यह हृदयरोग से जुड़ा है, इसलिये उक्त रक्तचाप के मरीजों को भोजन में सेचुरेटेड फैट (घी, मलाई, मांस, युक्त चर्बी, अंडा) आदि का सेवन भूल कर भी नहीं करना चाहिये। जो व्यक्ति मांसाहार, अंडा आदि का सेवन करता है उसका ब्लड प्रेशर निश्चय ही अनियंत्रित हो जाता है, जो शरीर के लिये हानिकारक है। इसलिये जो व्यक्ति मांसाहार, अंडा आदि का सेवन करता है उसका ब्लडप्रेशर निश्चय ही अनियंत्रित हो जाता है। यह शरीर के लिये हानिकारक है इसलिये मांसाहार का पूर्णतः त्याग कर देना चाहिये।      

आयुर्वेद से रोग निवारण -

1. करेला (कड़वा वाला) का रस 50 ग्राम को निकालकर प्रतिदिन सुबह खाली पेट पीना चाहिये। इसके एक घण्टे बाद ही कुछ खायें। इससे धीरे-धीरे ब्लडप्रेशर नार्मल होने लगता है।
2. गौमूत्र का अर्क अगर प्रतिदिन सुबह खाली पेट एवं रात्रि में सोते समय 10-10 ग्राम की मात्रा में प्रतिदिन लिया जाये, तो भी ब्लडप्रेशर नार्मल हो जाता है। 
3. अर्जुन की छाल का चूर्ण 5 ग्राम की मात्रा सुबह एवं 5 ग्राम की मात्रा शाम को सोते समय लगातार लेने से ब्लडप्रेशर नार्मल होता है एवं हृदय से सम्बन्धित बीमारियों में पूर्ण लाभ मिलता है, यहाँ तक कि डॉक्टर ने अगर हृदय का ऑपरेशन भी बताया हो, तो उससे भी बचा जा सकता है।
4 वृहद् वातचिन्तामणि रस 3 रत्ती की मात्रा सुबह शहद से लेने पर हाई ब्लडप्रेशर नार्मल हो जाता है।

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