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पोषक तत्व, Nutrients

पोषक तत्व, Nutrients

पोषक तत्व, Nutrients

जीवधारियों के शारीरिक विकास एवं उसे गतिमान बनाये रखने के लिए पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है। यह पोषक तत्व दो तरह के होते हैं, इसमें से प्रथम वह पोषक तत्व है, जो शरीर के निर्माण, विकास एवं समय के साथ शरीर के क्षतिग्रस्त होने पर पुनः उसके रिपेयर करने में सहयोग प्रदान करते हैं। ऐसे तत्वों को मुख्यतः प्रोटीन कहते हैं। यह शरीर के सभी अंगों के निर्माण एवं विकास में मुख्य भूमिका निभाते हैं। शरीर के जन्म से लेकर लगभग 20 वर्ष तक लगातार विकास प्रक्रिया में पूर्ण सहयोग देते हैं। इसके बाद शरीर के सभी अंगों की देखरेख व क्षतिग्रस्त होने पर उनके मरम्मत का कार्य भी प्रोटीन के ऊपर ही होता है।

प्रोटीन में अनेकों ऐमिनो अम्ल पाये जाते हैं। कुछ ऐमिनो अम्ल को तो मानव शरीर दूसरे खाद्य पदार्थों से बना लेता है, इन्हें साधारण एमिनों अम्ल कहते हैं।

इनके नाम निम्न हैं-साधारण एमिनों अम्ल हैं-सेरिन (Serine), ग्लाइसिन (Glycine), ऐलिनिन (Alanine), नोरल्युसिन (Norlucine), प्रोलिन (Proline), ऐस्पार्टिक अम्ल (Aspartic acid), ग्लूटैमिक अम्ल (Glutamic acid), हाइड्रॉक्सीग्लुटैमिक अम्ल (Hydroxyglutamic acid), टाइरोसिन (Tyrocine), सिस्टीन (Cystine) तथा सिट्रलिन (Citruline) हैं।

दस ऐमिनो अम्ल ऐसे होते हैं, जिन्हें मानव शरीर बना नहीं सकता है। उन्हें उसे आहार से ही प्राप्त करने होते हैं। ऐसे ऐमीनों अम्लों को अत्यावश्यक ऐमीनों अम्ल कहते हैं। इनके नाम निम्न है-वेलिन (Valine), लाइसिन (Lycein), ट्रिप्टोफैन (Tryptophan), थ्रियोनिन (Threonine), हिस्टिडिन (Histidine), फोनिलऐलानिन (Phenylalanine), ल्यूसिन (Leucine), आइसौल्युसिन (Isoleucine) और आरजिनिन (Arginine) हैं।

दूसरे तरह के पोषक तत्व वह होते हैं, जो शरीर को ऊर्जा (गर्मी) प्रदान करके उसे गतिमान बनाये रखने के लिए ईंधन का कार्य करते हैं। ऐसे तत्वों की भूमिका में कार्बोहाइड्रेड, वसा और प्रोटीन का कुछ भाग होता है।
कार्बोहाइड्रेड शरीर के लिए ईंधन का कार्य करता है। यह शरीर में पचने के बाद दो रूप- ग्लूकोज और ग्लाइकोजेन में बंट जाता है। ग्लूकोज रक्त में मिल जाता है, जो कोशिकाओं के द्वारा अवयवों तक पंहुचता है और इनके द्वारा ईंधन के रूप में उपयोग किया जाता है। ग्लाइकोजन यकृत और पेशियों में जमा रहता है और आवश्यकतानुसार वहीं से ग्लूकोज बनकर कोशिकाओं तक पहुंचता है।

बसा शरीर में त्वचा के नीचे की झिल्लियों और चर्बी के रूप में इकट्ठा होजाता है, जो लम्बे समय तक आवश्यकता के अनुसार शरीर को ईंधन उपलब्ध कराता है। बसा के आवश्यकता से अधिक जमा होने पर मोटापा के रूप में शरीर में दिखने लगता है। जब कभी शरीर उपवास करता है, तो उस स्थिति में कार्बोहाइड्रेड का खजाना तो कुछ ही घण्टों में खाली हो जाता है, परन्तु बसा का खजाना लम्बे समय तक शरीर को ऊष्मा प्रदान करता है।

प्रोटीन से शरीर का निर्माण होता है, परन्तु आपातकाल में जब कार्बोहाइड्रेड एवं वसा का खजाना समाप्त होजाता है, तो उन परस्थितियों में मांसपेशियों में एकत्रित प्रोटीन घुलघुल कर ऊष्मा प्रदान करने लगता है, जो लम्बे समय तक शरीर को ऊर्जा देता रहता है। यह स्थिति अगर लम्बे समय तक चलती हैं, तो शरीर के सभी अंग कमजोर होने लगते हैं और शरीर निर्बल एवं कमजोर दिखने लगता है।

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