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नशा नाश का द्वार क्यों..?

Why addiction is way of Destroy


नशा नाश का द्वार क्यों..?(Why addiction is way of Destroy)

प्रायः महापुरूषों के मुख से हम सुनते आ रहे हैं कि नशा नाश का द्वार है, जो पहले नशा करने वाले मनुष्य को मदमस्त बनाता है, क्षणिक आनन्द देता है, तन और मन को अपना गुलाम बना लेता है और जब वे उसकी गिरफ्त
में आ जाते हैं, तब वह धीरे-धीरे शरीर को बरबाद करने लगता है, सोचने समझने की शक्ति को छीन लेता है। तथा जेब का पैसा उड़ाने लगता है। पहले तो हम शौखवश दोस्तों की संगत में नशे का उपयोग करते हैं और जब कुछ समय बाद हम नशा करने के आदी हो जाते हैं और फिर हम उसे छोड़ नही पाते हैं। 

हम अपना तन, मन, धन, परिवार, यश, प्रतिष्ठा सब कुछ दांव में लगा देते हैं और जब हम सँभलने की सोचते हैं तब तक बहुत देर हो चुकी होती है। हम नशे को नही बल्कि नशा हमें अपना गुलाम बना चुका होता है और धीरे-धीरे हमारे शरीर को पी रहा होता है। जिस प्रकार शराब से भरी बोतल शराबी के लिए मूल्यवान होती है परन्तु शराब के खत्म होते ही बोतल का मूल्य समाप्त हो जाता है, खाली बोतल फेंक दी जाती है, वही हाल हमारे शरीर का होता है। जब तक जेब में पैसा है शरीर स्वस्थ है तब तक हम अनेक नशों का उपयोग करते हैं। और जब ये नशे, हमारे शरीर का उपयोग करते हैं तो अनेकों तरह की बीमारियाँ हमारे शरीर मे धावा बोल देती हैं और हमारे शरीर को जर्जर व नष्ट कर देती हैं।

भौतिक नशा वह चाहे जिस प्रकार का हो, चाहे वह शराब के रूप में हो या गांजा, अफीम, हेरोइन, कोकीन, भांग, बीडी, सिगरेट, तम्बाकू, गुटका के रूप में हो, वह हमारे लिए परम घातक है। नशा व्यक्ति की चेतनाशक्ति को संज्ञा शून्य कर देते हैं जिससे व्यक्ति की आत्मा और उस परमसत्ता के बीच दूरी बढ़ जाती है, व्यक्ति के शरीर के साथ-साथ उसकी आत्मा की भी मृत्यु हो जाती है। इसलिये यह जरूरी है कि वह इस दानवरूपी नशे से अपने आपको बचाये। आध्यात्मिक रास्ते की ओर अपने आपको बढ़ाये, जिससे आपकी आत्मा उस परमसत्ता माता आदिशक्ति जगत जननी जगदम्बा माता के चरणों तक जा सके।

illicit drugs, Intoxication, smoking,


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