गोदधि, Cow Curd
गोदधि, Cow Curd
विश्व की सबसे अनूठी एवं विशेष भारतीय परम्परा के अनुसार किसी भी शुभ कार्य के लिए जाते समय घर की बुजुर्ग महिलायें दही-गुड़ खिलाकर ही भेजती हैं। उनका मानना है कि इससे अमुक कार्य में सफलता मिलने की सम्भावना बढ़ जाती है। देशी गाय का दूध और उससे बने दही का उपयोग तो पुरातन काल से होता चला आ रहा है। इसे इतना शुद्ध और पवित्र माना जाता है कि इसका प्रयोग पंचगव्य बनाने में भी होता है।
दही (ब्न्त्क्) का नाम सुनते ही उसे खाने की इच्छा जाग्रत् हो जाती है। बच्चे, जवान और बूढ़े सभी इसे चाव से खाते हैं। ताजा दही खाने में हल्का खट्टा-मीठा और बहुत ही स्वादिष्ट लगता है। साथ ही यह लिवर के लिए भी बहुत उपयोगी है।
आयुर्वेद के अनुसार दही खट्टी, स्वादिष्ट, पौष्टिक, भूख बढ़ाने वाली, पाचनक्रिया को सही करने वाली, कब्ज को सही करने वाली, रक्त को शुद्ध करने वाली तथा यकृत को शक्ति देने वाली है।
वैज्ञानिक शोधों से पता चला है कि दही गुणों की खान है तथा अनेक पोषक तत्वों से भरपूर है। इसमें प्रोटीन, विटामिन डी, विटामिन बी, फैट, कैलोरी, कैल्शियम, पोटेशियम, फास्फोरस, आयरन, लेक्टोज, राइबोफ्लेविन, जिंक और शुगर जैसे अनेकों तत्व पाये जाते हैं।
दूध से ज्यादा गुणकारी दही माना गया है क्योंकि दूध में पानी के बाद मुख्यतः केसीन नामक प्रोटीन होता है। मगर लेक्टोबेसिलस केसी नामक वैक्टीरिया द्वारा दूध में स्थित सुगर और लेक्टोस को लेक्टिस ऐसिड में बदल देता है। यही लैक्टिस ऐसिड खट्टेपन का कारण होता है। दूध में खमीर उठती है और दूध दही में परिवर्तित हो जाता है। और इसी परिवर्तन के कारण दही में अतिरिक्त गुणों का विकास होता है। जो कोलेस्ट्रोल कम करने में सहायक है।
02- देशी गाय का दही आंतों की गर्मी को शान्त करता है।
03- देशी गाय का दही बालों के लिए टॉनिक का कार्य करता है। ताजे दही में बेर के पत्तों का रस मिलाकर बालों में लगायें और 1 घण्टे बाद सादे पानी से धो लें। इससे बालों का झड़ना एवं बालों की कमजोरी दूर होती है व बाल घने, मजबूत व चमकदार बनते हैं।
04- देशी गाय का दही शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता को जाग्रत् करता है।
05- देशी गाय का दही शरीर की हड्डियों, नाखूनों तथा दांतों को मजबूत बनाता है, क्योंकि इसमें दूध की अपेक्षा कई गुना ज्यादा कैल्शियम होता है।
06- देशी गाय के दही को गर्मियों के दिनों में रुखी एवं बेजान त्वचा में लगाकर 30 मिनट बाद सादे पानी से धो दें, त्वचा सुन्दर और चमकदार बनती है।
07- गर्मियों के दिनों में देशी गाय के दही से बने छाछ को काला नमक, भुना जीरा, पुदीना की पत्ती डालकर प्रतिदिन एक गिलास पीने से लू लगने का खतरा कम हो जाता है और शरीर में तरावट रहती है।
08- देशी गाय के दही के सेवन से उच्चरक्तचाप और कोलेस्ट्रॉल की शिकायत कन्ट्रोल होती है।
09- भैंस के दूध से बने दही की अपेक्षा देशी गाय के दूध से बना दही ज्यादा उपयोगी है।
2- हमेशा ताजा दही ही उपयोग करें, ज्यादा खट्टा दही नुकसान करता है।
3- रात में दही का सेवन नहीं करना चाहिए। रात्रि में दही सेवन से कफ बढऩे की शिकायत होती है।
4- फाइलेरिया के रोगियों को दही नहीं खाना चाहिए।
5- जिसे कफ जनित रोग रहते हो, स्नोफीलिया बढ़ा रहता है, उसे दही का सेवन नहीं करना चाहिए।
6- अल्सर, रक्तपित्त, ऐसिडिटी, दस्त के साथ ज्वर, सूजन, खांसी से पीड़ित व्यक्ति दही का सेवन न करें।
7- दही को एल्यूमिनियम, तांबें तथा कांसे के बर्तन में डालकर नहीं खाना चाहिए, क्योंकि इन धातुओं के सम्पर्क में आने से दही जहरीला हो जाता है।
8- दही को हमेशा कांच, स्टील या मिट्टी के बर्तनों में डालकर ही खायें।
9- किसी भी चीज का अत्यधिक सेवन नुकसानदायक होता है अतः दही को भी एक सन्तुलित मात्रा में ही सेवन करें।
02- सुबह खाली पेट दही के सेवन से बचें।
03- गर्मी के दिनों में कड़ी धूप से आकर तुरन्त दही का सेवन न करें।
04- सर्दी, जुकाम, खांसी और अस्थमा के मरीज दही का सेवन न करें।
Gau Dadhi chikitsa, Cow Curd chikitsa, Panchgavya chikitsa, chikitsa in hindi
दही (ब्न्त्क्) का नाम सुनते ही उसे खाने की इच्छा जाग्रत् हो जाती है। बच्चे, जवान और बूढ़े सभी इसे चाव से खाते हैं। ताजा दही खाने में हल्का खट्टा-मीठा और बहुत ही स्वादिष्ट लगता है। साथ ही यह लिवर के लिए भी बहुत उपयोगी है।
आयुर्वेद के अनुसार दही खट्टी, स्वादिष्ट, पौष्टिक, भूख बढ़ाने वाली, पाचनक्रिया को सही करने वाली, कब्ज को सही करने वाली, रक्त को शुद्ध करने वाली तथा यकृत को शक्ति देने वाली है।
वैज्ञानिक शोधों से पता चला है कि दही गुणों की खान है तथा अनेक पोषक तत्वों से भरपूर है। इसमें प्रोटीन, विटामिन डी, विटामिन बी, फैट, कैलोरी, कैल्शियम, पोटेशियम, फास्फोरस, आयरन, लेक्टोज, राइबोफ्लेविन, जिंक और शुगर जैसे अनेकों तत्व पाये जाते हैं।
दूध से ज्यादा गुणकारी दही माना गया है क्योंकि दूध में पानी के बाद मुख्यतः केसीन नामक प्रोटीन होता है। मगर लेक्टोबेसिलस केसी नामक वैक्टीरिया द्वारा दूध में स्थित सुगर और लेक्टोस को लेक्टिस ऐसिड में बदल देता है। यही लैक्टिस ऐसिड खट्टेपन का कारण होता है। दूध में खमीर उठती है और दूध दही में परिवर्तित हो जाता है। और इसी परिवर्तन के कारण दही में अतिरिक्त गुणों का विकास होता है। जो कोलेस्ट्रोल कम करने में सहायक है।
दही सेवन से लाभ
01- देशी गाय का दही पाचन क्रिया सुधारने में बहुत उपयोगी है, इसमें पोषक बैक्टीरिया पाये जाते हैं जो लिवर को सही करते हैं और पाचन क्रिया सही करने में सहयोगी है।02- देशी गाय का दही आंतों की गर्मी को शान्त करता है।
03- देशी गाय का दही बालों के लिए टॉनिक का कार्य करता है। ताजे दही में बेर के पत्तों का रस मिलाकर बालों में लगायें और 1 घण्टे बाद सादे पानी से धो लें। इससे बालों का झड़ना एवं बालों की कमजोरी दूर होती है व बाल घने, मजबूत व चमकदार बनते हैं।
04- देशी गाय का दही शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता को जाग्रत् करता है।
05- देशी गाय का दही शरीर की हड्डियों, नाखूनों तथा दांतों को मजबूत बनाता है, क्योंकि इसमें दूध की अपेक्षा कई गुना ज्यादा कैल्शियम होता है।
06- देशी गाय के दही को गर्मियों के दिनों में रुखी एवं बेजान त्वचा में लगाकर 30 मिनट बाद सादे पानी से धो दें, त्वचा सुन्दर और चमकदार बनती है।
07- गर्मियों के दिनों में देशी गाय के दही से बने छाछ को काला नमक, भुना जीरा, पुदीना की पत्ती डालकर प्रतिदिन एक गिलास पीने से लू लगने का खतरा कम हो जाता है और शरीर में तरावट रहती है।
08- देशी गाय के दही के सेवन से उच्चरक्तचाप और कोलेस्ट्रॉल की शिकायत कन्ट्रोल होती है।
09- भैंस के दूध से बने दही की अपेक्षा देशी गाय के दूध से बना दही ज्यादा उपयोगी है।
दही सेवन समय सावधानियां
1- हो सके तो गाय के दूध से बना दही सेवन करें या फिर जिस दूध का उपलब्ध हो, उपयोग करें।2- हमेशा ताजा दही ही उपयोग करें, ज्यादा खट्टा दही नुकसान करता है।
3- रात में दही का सेवन नहीं करना चाहिए। रात्रि में दही सेवन से कफ बढऩे की शिकायत होती है।
4- फाइलेरिया के रोगियों को दही नहीं खाना चाहिए।
5- जिसे कफ जनित रोग रहते हो, स्नोफीलिया बढ़ा रहता है, उसे दही का सेवन नहीं करना चाहिए।
6- अल्सर, रक्तपित्त, ऐसिडिटी, दस्त के साथ ज्वर, सूजन, खांसी से पीड़ित व्यक्ति दही का सेवन न करें।
7- दही को एल्यूमिनियम, तांबें तथा कांसे के बर्तन में डालकर नहीं खाना चाहिए, क्योंकि इन धातुओं के सम्पर्क में आने से दही जहरीला हो जाता है।
8- दही को हमेशा कांच, स्टील या मिट्टी के बर्तनों में डालकर ही खायें।
9- किसी भी चीज का अत्यधिक सेवन नुकसानदायक होता है अतः दही को भी एक सन्तुलित मात्रा में ही सेवन करें।
दही कब न खायें-
01- रात्रि में दही का सेवन न करें।02- सुबह खाली पेट दही के सेवन से बचें।
03- गर्मी के दिनों में कड़ी धूप से आकर तुरन्त दही का सेवन न करें।
04- सर्दी, जुकाम, खांसी और अस्थमा के मरीज दही का सेवन न करें।
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