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क्या आपको लीवर कैंसर है

क्या आपको लीवर कैंसर है, have you liver cancer?


कैंसर का नाम आते ही हमें अपने जीवन का अन्त दिखने लगता है। क्योंकि इस सदी में कैंसर का नाम ही मौत का पर्याय बन गया है। इसका मुख्य कारण समय पर इसके बारे में पता न चलना, या यह कहें कि कैंसर की पहिचान ही इतनी देर से हो पाती है कि जब तक मरीज को पता चलता है तब तक वह अपने पैर दृढ़ता से जमा चुका होता है। दूसरा कारण यह है कि कैंसर के मेडिकल टेस्ट इतने मंहगे होते जा रहे हैं कि आम जनता उन टेस्टों से बचती है तीसरा इसकी दवायें भी मंहगी हैं, इस कारण समय पर दवाओं का सेवन न होने पर भी मरीज जल्दी ही मौत के मुंह में दस्तक देने लगता है।

इन सब के बावजूद आज मेडिकल साइन्स ने इतनी प्रगति की हैं कि सभी तरह के कैंसर लाइलाज नहीं है इनमें से कुछ कैंसर पूरी तरह सही होते हैं, तो कुछ कैंसर मानव को कुछ वर्ष और जीवन प्रदान करते हैं।
इनमें से लीवर कैंसर की अगर समय पर पहिचान कर ली जाय तो मनुष्य कैंसर होने के बावजूद कुछ वर्ष और स्वस्थ जीवन जी सकता है।

लीवर कैंसर होने के कारण
1. किसी व्यक्ति के पेट में कृमि बचपन से पल रहे हों और वे बड़े पटार (फीताकृमि) बन गये हों तो उस स्थिति में हमारे द्वारा खाया खाना वह भी खाते हैं और जब उन्हें खाना नहीं मिलता है तो वह हमारी आंतों की अन्दरूनी सतह को काटकर उसमें घाव कर देते हैं उस स्थिति में हमारे द्वारा खाने के साथ कैंसर के कीटाणु अन्दर पहुंच कर उन घावों में इंफेक्सन पैदा कर देते हैं।
2. किसी व्यक्ति के शरीर में सोरायसिस हो और वह शराब भी पीता हो तो उससे भी लीवर कैंसर का खतरा बढ़ जाता है।
3. शरीर में फंगल इंफेक्सन हो तो लीवर कैंसर की संभावना रहती है।
लीवर कैंसर की पहचान
’ शरीर में बार-बार बुखार का चढऩा।
’ लम्बे समय तक पीलिया की शिकायत रहना
’ पेट में लगातार दर्द बना रहना।
’ पेट का फूलना तथा पेट के आसपास सूजन
’ लगातार उल्टियां आना, दवा से भी ठीक न होना
’ शरीर का वजन घटता जाना
’ यूरिन का रंग बदल कर काला हो जाना
’ खाने की इच्छा समाप्त हो जाना

इन सभी लक्षणों का एक साथ दिखना लीवर कैंसर का कारण बन सकता है, अतः किसी कैंसर विशेषज्ञ से अपना पूरा मेडिकल चेकअप करवा लें। और उसकी देखरेख में अपना इलाज करवा कर एक स्वस्थ जीवन जियें।

इलाज
इलाज की पुरानी तकनीक में कीमोथेरेपी की दवा वेन और मुंह के रास्ते दी जाती है, जिसका असर शरीर के सभी हिस्सों में पड़ता है, किडनियां खराब होने का खतरा, बोनमेरो का कम होना, हड्डियां कमजोर होना, दिल में भी बुरा असर होना, यहां तक कि सिर के सभी बाल झड़ जाते हैं।

नई तकनीक में टेस तकनीक से रोगी का इलाज किया जाता है, इसमें लीवर की इंजियोग्राफी की जाती है जिससे कैंसर के ट्यूमर की सही स्थिति की जानकारी मिल जाती है, इसके बाद एक स्पेशल कैथन के जरिये रक्तकोशिकाओं में कीमोंथेरेपी दवा डाली जाती है। इस दवा का सीधा असर ट्यूमर पर पड़ता है और धीरे-धीरे ट्यूमर सूख जाता है। इस इलाज से शरीर के अन्य अंगों पर प्रभाव नहीं पड़ता है।

टेस तकनीक का इस्तेमाल लीवर के दो या तीन ट्यूमर को ही खत्म करने के लिए उपयोग किया जाता है परन्तु अगर लीवर में अनेकों ट्यूमर है तो उसे आर. एफ. ए. तकनीक से सही करते हैं। इस तकनीक का पूरा नाम रेडियो फ्रीक्वेंसी आफ एवलेटिव है। इस तकनीक में सीटी स्कैन की मदद से नीडल इंजेक्ट की जाती है जो अन्दर जाकर सभी ट्यूमरों के ऊपर छा जाती है, इससे हीट देकर ट्यूमरों को रिमूव किया जाता है।

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