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एड्स से दोस्ती, मौत को बुलावा

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एड्स का पूरा नाम है ‘‘एक्वायर्ड इम्यूनो डेफिशिएंसी सिंड्रोम (Acquired Immuno Deficiency Syndrome)। यह एक संक्रामक रोग है, जो एक प्रकार के वायरस से होता है। यह शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता को धीरे-धीरे नष्ट करता है, जिससे अन्य अनेक रोग शरीर को प्रभावित करने लगते हैं और व्यक्ति शारीरिक व मानसिक रूप से दुर्बल होने लगता है। यह शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता को इतना कमजोर कर देता है कि व्यक्ति साधारण ज्वर, सर्दी, जुकाम आदि रोगों को भी सहन नहीं कर पाता है तथा उसे अत्यधिक कष्ट से गुजरना पड़ता है।

वैज्ञानिकों के अनुसार एच.टी.एल.वी.-3 नामक विषाणु ही एड्स रोग का जन्मदाता है। ये विषाणु लार, आंसू, महिलाओं के स्तनों व पुरुषों के वीर्य तक पहुंच जाते हैं। मुखचुम्बन, सम्भोग एवं रक्ताधान के द्वारा इनका आदान-प्रदान होता है। यह विषाणु रक्त की श्वेत कणिकाओं को नष्ट करता है। यही श्वेत कणिकाएं ही शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता को बनाये रखती हैं और इनके नष्ट होने पर शरीर अनेक रोगों की चपेट में आने लगता है।

एड्स फैलने के कारण- 

1. एच.टी.एल.वी.-3 वायरस के संक्रमण से प्रभावित स्त्री-पुरुष के साथ यौन सम्बन्ध बनाने से।
2. एड्स ग्रसित व्यक्ति के खून को ग्रहण करने से।
3. एड्स ग्रसित व्यक्ति को लगाई हुई सूई से किसी दूसरे व्यक्ति को सुई लगाने से।
4. एड्स से प्रभावित व्यक्ति के टूथ ब्रश का उपयोग करने से।
5. एड्स ग्रसित गर्भवती महिलाओं से उसके बच्चे को रोग लगने का खतरा रहता है तथा उसका दूध बच्चे को पिलाने से भी हो सकता है।
6. वेश्यागामियों को यह रोग जल्दी पकड़ता है।
7. समलैंगिक लोगों को भी यह रेाग हो सकता है।
8. कैंसर, क्षयरोगी, धातुक्षय रोगी, हीमोफीलिया के रोगियों व नशेड़ियों को यह रोग हो सकता है।

एड्स के लक्षण- 

एड्स से ग्रसित व्यक्ति को हल्का ज्वर रहना, रात को पसीना आना, भूख नहीं लगना, शरीर में दुर्बलता आना, स्मरणशक्ति का घटना, मानसिक विकृति आना, सूखी खांसी आदि का लगातार चलना, शरीर में अधिक थकान लगना, अनेक छोटे व बड़े रोगों का शरीर पर आक्रमण होना व किसी भी दवा का असर न करना।

बचाव-

आज तक एड्स का कोई भी इलाज वैज्ञानिक खोज नहीं पाये हैं। एक बार एड्स की गिरफ्त में आने के बाद मनुष्य की मृत्यु निश्चित है, जो बहुत ही पीड़ादायक होती है। अतः इससे बचाव ही इसका समुचित इलाज है। प्रत्येक स्त्री व पुरुष को अनेक लोगों से यौन सम्बन्ध बनाकर नहीं रखने चाहिएं। अपने परिवार तक सीमित रहने में ही समझदारी है।

इन सब से एड्स नहीं फैलता- 

1. एड्स रोगी से बात करने से।
2. एड्स रोगी से हाथ मिलाने से।
3. एड्स रोगी के साथ खेलने से।
4. एड्स रोगी को छूने से।
5. एड्स रोगी के साथ एक टेबल पर बैठकर खाना खाने से।
6. मच्छर या कीड़े के काटने से।

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