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आकाश तत्त्व चिकित्सा


Sky elements treatment

आकाश तत्त्व चिकित्सा, Sky elements treatment

आकाश का अर्थ है खाली स्थान। किसी भी व्यक्ति से आकाश के विषय में पूछा जाये, तो वह ऊपर की ओर उंगली उठाकर बतायेगा कि आकाश यह है, चारों तरफ फैला हुआ नीला-नीला आकाश। पृथ्वी से ऊपर की ओर दिखने वाले बादलों से युक्त खाली जगह को हम आकाश के रूप में जानते हैं। वास्तव में आकाश एक शून्यता का रूप है। आकाश को अनन्त आकाश भी कहा गया है, अर्थात् जिसका कोई अंत न हो।
आकाश तत्त्व भी शरीर के लिए उतना ही महत्त्वपूर्ण है, जितना अन्य चारों तत्त्व। इसके बगैर शरीर का निर्माण एवं संचालन सम्भव नहीं है। सामान्य तौर पर आकाश की उपयोगिता इस शरीर के लिए कितनी है, यह समझना कठिन है। हमारे वेदों और पुराणों में आकाश की उपयोगिता के विषय में बताया गया है। व्रत इसी का एक अंग है। विभिन्न दिनों में या त्योहारों में व्रत रहने की परम्परा आदिकाल से है। व्रत चाहे वह किसी भी दिन का हो या किसी भी देवी-देवता का हो, हम रहते है। व्रत के दिन हम कम से कम खाते है। सारा दिन अधिकांश खाली पेट रहते है। पेट का खाली स्थान अर्थात् आकाश की उपस्थिति। जो भी खाली स्थान होता है, वहां शून्यता उतनी ही ज्यादा होती है और शून्यता वाले स्थान में ज्यादा से ज्यादा वायु रहती है, ज्यादा से ज्यादा आकाश तत्त्व समाहित रहता है। इससे पेट के अनेक रोग सही होते हैं, पाचन शक्ति बढ़ती है और शरीर में हल्कापन रहता है।

स्वास्थ्य के लिए जरूरी है आकाशतत्व-

ध्यान रहे, जितना अधिक आकाश हमारे आस-पास रहेगा, हम उतने अधिक प्रसन्न रहेंगे। अनेक रोगों का इलाज आकाश तत्त्व से होता है।
जब हम किसी लम्बी बीमारी से गुजरते हैं, तो डॉक्टर हमें सम्बन्धित रोग की दवा सेवन के अलावा कुछ दिन किसी हिलस्टेशन पर रहने की या खुले वातावरण में रहने की सलाह देता है, जिससे ऑक्सीजन हमें भरपूर मात्रा में मिल सके और शरीर को स्वस्थ रखने के लिए ऑक्सीजन एक महत्वपूर्ण तत्त्व है। यह ऑक्सीजन आकाश में पूर्ण रूप से रहती है। जंगल, खुले वातावरण में ऑक्सीजन एवं अन्य बहुमूल्य गैसें पर्याप्त मात्रा में रहती हैं। इसलिए डॉक्टर हमें खुले वातावरण में रहने के लिए बताता है, जिससे हम ज्यादा समय आकाश के सम्पर्क में रह सकें और पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन हमारे शरीर में समाहित हो सके।

प्रकृति से आकाश चिकित्सा-

प्राकृतिक चिकित्सा में आकाश चिकित्सा एक महत्त्वपूर्ण अंग है। सुबह-शाम खुले वातावरण में घूमना स्वास्थ्य के लिए बहुत ही लाभदायक कहा गया है। प्रतिदिन सुबह-शाम खुले वातावरण में घूमने से हम उस समय आकाश के नजदीक रहते हैं और आकाश के विद्युतीय गुणों को हम अपने अन्दर समाहित करते हैं।

आकाश तत्त्व की आवश्यकता-

एक उदाहरण के तौर पर आप लोग अहसास करें कि एक परिवार बड़े शहरों में एक छोटे कमरे में रहते हुये ज्यादा बीमार रहता है। उसका स्वास्थ्य कमजोर रहता है। इसकी अपेक्षा खुले वातावरण में रहने वाला परिवार ज्यादा स्वस्थ और प्रसन्न रहता है, उस पर बीमारियों का प्रभाव कम पड़ता है क्योंकि वह शहर की अपेक्षा खुले में आकाश के नजदीक रहता है। मानव शरीर में जब भी किसी तत्त्व की कमी होती है, तो वह कमजोर एवं बीमार हो जाता है। अतः हमारे स्वस्थ रहने के लिए सभी तत्त्वों के साथ आकाश तत्त्व भी बहुत आवश्यक है। इसलिए हमें आकाश तत्त्व के पास अधिक से अधिक रहने की कोशिश करनी चाहिए।

आकाश का अर्थ है खाली स्थान। किसी भी व्यक्ति से आकाश के विषय में पूछा जाये, तो वह ऊपर की ओर उंगली उठाकर बतायेगा कि आकाश यह है, चारों तरफ फैला हुआ नीला-नीला आकाश। पृथ्वी से ऊपर की ओर दिखने वाले बादलों से युक्त खाली जगह को हम आकाश के रूप में जानते हैं। वास्तव में आकाश एक शून्यता का रूप है। आकाश को अनन्त आकाश भी कहा गया है, अर्थात् जिसका कोई अंत न हो।
आकाश तत्त्व भी शरीर के लिए उतना ही महत्त्वपूर्ण है, जितना अन्य चारों तत्त्व। इसके बगैर शरीर का निर्माण एवं संचालन सम्भव नहीं है। सामान्य तौर पर आकाश की उपयोगिता इस शरीर के लिए कितनी है, यह समझना कठिन है। हमारे वेदों और पुराणों में आकाश की उपयोगिता के विषय में बताया गया है। व्रत इसी का एक अंग है। विभिन्न दिनों में या त्योहारों में व्रत रहने की परम्परा आदिकाल से है। व्रत चाहे वह किसी भी दिन का हो या किसी भी देवी-देवता का हो, हम रहते है। व्रत के दिन हम कम से कम खाते है। सारा दिन अधिकांश खाली पेट रहते है। पेट का खाली स्थान अर्थात् आकाश की उपस्थिति। जो भी खाली स्थान होता है, वहां शून्यता उतनी ही ज्यादा होती है और शून्यता वाले स्थान में ज्यादा से ज्यादा वायु रहती है, ज्यादा से ज्यादा आकाश तत्त्व समाहित रहता है। इससे पेट के अनेक रोग सही होते हैं, पाचन शक्ति बढ़ती है और शरीर में हल्कापन रहता है।

स्वास्थ्य के लिए जरूरी है आकाशतत्व-

ध्यान रहे, जितना अधिक आकाश हमारे आस-पास रहेगा, हम उतने अधिक प्रसन्न रहेंगे। अनेक रोगों का इलाज आकाश तत्त्व से होता है।
जब हम किसी लम्बी बीमारी से गुजरते हैं, तो डॉक्टर हमें सम्बन्धित रोग की दवा सेवन के अलावा कुछ दिन किसी हिलस्टेशन पर रहने की या खुले वातावरण में रहने की सलाह देता है, जिससे ऑक्सीजन हमें भरपूर मात्रा में मिल सके और शरीर को स्वस्थ रखने के लिए ऑक्सीजन एक महत्वपूर्ण तत्त्व है। यह ऑक्सीजन आकाश में पूर्ण रूप से रहती है। जंगल, खुले वातावरण में ऑक्सीजन एवं अन्य बहुमूल्य गैसें पर्याप्त मात्रा में रहती हैं। इसलिए डॉक्टर हमें खुले वातावरण में रहने के लिए बताता है, जिससे हम ज्यादा समय आकाश के सम्पर्क में रह सकें और पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन हमारे शरीर में समाहित हो सके।

प्रकृति से आकाश चिकित्सा-

प्राकृतिक चिकित्सा में आकाश चिकित्सा एक महत्त्वपूर्ण अंग है। सुबह-शाम खुले वातावरण में घूमना स्वास्थ्य के लिए बहुत ही लाभदायक कहा गया है। प्रतिदिन सुबह-शाम खुले वातावरण में घूमने से हम उस समय आकाश के नजदीक रहते हैं और आकाश के विद्युतीय गुणों को हम अपने अन्दर समाहित करते हैं।

आकाश तत्त्व की आवश्यकता-

एक उदाहरण के तौर पर आप लोग अहसास करें कि एक परिवार बड़े शहरों में एक छोटे कमरे में रहते हुये ज्यादा बीमार रहता है। उसका स्वास्थ्य कमजोर रहता है। इसकी अपेक्षा खुले वातावरण में रहने वाला परिवार ज्यादा स्वस्थ और प्रसन्न रहता है, उस पर बीमारियों का प्रभाव कम पड़ता है क्योंकि वह शहर की अपेक्षा खुले में आकाश के नजदीक रहता है। मानव शरीर में जब भी किसी तत्त्व की कमी होती है, तो वह कमजोर एवं बीमार हो जाता है। अतः हमारे स्वस्थ रहने के लिए सभी तत्त्वों के साथ आकाश तत्त्व भी बहुत आवश्यक है। इसलिए हमें आकाश तत्त्व के पास अधिक से अधिक रहने की कोशिश करनी चाहिए।

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