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हमारा शरीर और स्वास्थ्य

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हमारा शरीर और स्वास्थ्य, Hamra sharir aur swasthya

वैदिक ज्ञान के अनुसार हमारा शरीर पंचतत्वों से बना है। यह तत्व, पृथ्वी, जल, अग्रि, आकाश और हवा। इन तत्वों का सामंजस्य ही शरीर को स्वस्थ बनाये रखता है और इनके अनुपात में अंतर आने पर शरीर अस्वस्थ होने लगता है।
आयुर्वेद के अनुसार शरीर का स्वास्थ्य बात, पित्त और कफ के सामंजस्य से चलता है इनका कम या ज्यादा होने पर स्वास्थ्य उसी के अनुसार बनता-बिगड़ता है।
एलोपैथी के अनुसार हमारा शरीर 16 तत्वों से बना है, हमारे शरीर में इन तत्वों का सम रहना ही अच्छा है। इन तत्वों को आहार के रूप में लेने के लिए चार वर्गों में बांटा गया है, यह यौगिक पदार्थ बसा, प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट और खनिज लवण है।
मानव शरीर को स्वस्थ बनाये रखने के लिए इन्हें सन्तुलित मात्रा में लेना जरूरी है।

बसा-

 शरीर को शक्ति और गर्मी प्रदान करता है, यह जानवरों के दूध में, मूंगफली, अलसी, सोयाबीन, सरसों आदि अनेक बीजों में पाया जाता है।
प्रोटीन- 
यह रक्त के निर्माण में पूर्ण सहयोगी है, शरीर को शक्ति प्रदान करता है, ऑक्सीजन ग्रहण करके उसे सारे शरीर में पहुंचाता है, परिश्रम के कारण आई थकान को दूर करता है, शरीर को स्वस्थ रखने में सहयोगी है। प्रोटीन की पूर्ति करने के लिए दालें, मटर, सेम, बरबटी, दूध, घी आदि का सेवन करना चाहिये।

कार्बोज- 

शरीर की मांसपेशियों को गतिमान एवं बलिष्ट बनाये रखने के लिए कार्बोज का बहुत बड़ा महत्व है, इसे प्रतिदिन लेना ही चाहिये, यह गेहूँ, चावल, जौ, बाजरा, अमरूद, केला, खजूर, आलू, अंगूर, गुड़, चीनी तथा अन्य मीठे पदार्थों में भी पाया जाता है।

खनिज लवण- 

शरीर को अनेक लवणों की जरूरत होती है, यह क्षार शरीर की अम्लता को कम करते है, यह शरीर रक्षा में सहयोगी है। प्राकृतिक रूप से यह पत्ते वाली सब्जियों, दूध व ताजे फलों में पाया जाता है।

इन सभी यौगिकों के तालमेल या संतुलित आहार के रूप में लेने से शरीर सुन्दर, पुष्ट एवं शक्तिशाली बनता है। एक बात सदैव ध्यान देना चाहिये कि मानव शरीर का आहार शाकाहार है। शाकाहार से सम्पूर्ण आहार की पूर्ति होती है। हमें मांसाहार का सेवन नहीं करना चाहिये। किसी भी जानवर या पक्षी के मांस को खाने में मानव के अन्दर हिंसा जाग्रत होती है, उग्रता बढ़ती है। मानसिक शान्ति नष्ट होती है। किसी भी पशु या पक्षी के मांस के साथ उसमें पनपी हुई बीमारी भी हमें मिलती है, जिससे हमारा शरीर अनेंक रोगों से ग्रसित हो जाता है। इसलिए हमें शाकाहार ही अपनाना चाहिये। 

बी.डी., सिगरेट, शराब अन्य तरह के नशों का सेवन नहीं करना चाहिये। इससे अनेक तरह के विकार उत्पन्न होते हैं। शरीर की रोगप्रतिरोधक शक्ति घटती है। अगर सुबह अंकुरित गेहूं, चना, मूंग, सोयाबीन का सेवन किया जाय तो शरीर को पौष्टिकता मिलती है, मौसम के अनुसार मौसमी फलों का भी सेवन करना चाहिये। ये सब शारीरिक विकास के लिए अत्यन्त उपयोगी है।
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