तांबा, Copper –
तांबा, Copper –
आयुर्वेद के मतानुसार तांम्बा बात,
पित्त एवं कफ नाशक है या ये कहें कि शरीर में स्थित तीनों
दोषों को सम करता है और शरीर को स्वस्थ, सुन्दर व दीर्घजीवी बनाने में सहायक है। यह दूषित
वैक्टीरिया का नाश करता है। तांबे के बर्तन में रखा हुआ जल 8 से 10 घंटे में दूषित जीवाणुओं से मुक्त हो जाता है। यह शरीर के
अनेक रोगों को सही करने में सहायक है। ताम्बे के बर्तन में रखा जल सुबह-सुबह पान करने से शरीर को अमृत की तरह
लाभदायी होता है। ताम्रजल शरीर को जीवाणुओं से मुक्ति हेतु सुरक्षाचक्र प्रदान
करता है। यह एक मज़बूत ऐण्टीऑक्सीडेन्ट और सेल गठन के गुणों से युक्त हैं,
इसलिए शरीर की उम्र को बढ़ाता है।
ताम्बे की कमी से होने वाली परेशानियां-
ताम्बे को प्रकृति में ओलीगोडिनेमिक के रूप में जाना जाता
है। वैक्टीरिया इसके सम्पर्क में आते ही नष्ट हो जाते हैं। बरसात के समय घर पर
बैक्टीरिया का प्रभाव अधिक रहता है। इसका एक प्रमुख कारण पानी का दूषित होना है।
उपाय-ताम्बे के बर्तनों
में रखा पानी दूषित जीवाणु मुक्त हो जाता है।
ताम्बा आपकी उम्र को बढ़ाने की क्षमता रखता है,
इसकी कमी होने पर शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती
है और शरीर में अनेकों तरह की बीमारियों का आक्रमण होने लगता है।
ताम्बा आपके लिए कितना आवश्यक है-
ताम्बा हमारे बुढ़ापे की दर को रोकता है।
शरीर में हुए किसी भी तरह के घावों को जल्दी भरता है।
यह हमारे पाचनतंत्र को सही रखता है।
हमारे शरीर में हो रहे खून की कमी को दूर करता है।
शरीर में पनप रहे बैक्टीरिया को नष्ट करता है।
थायराइड को नियंत्रित करता है।
कोलेस्ट्राल को कम करता है तथा हृदय तंत्र को पुष्ट करता
है।
यह शरीर में लौह तत्व को अवशोषित करने में मदद करता है।
यह किडनी को साफ करता है।
यह कैंसर का प्रतिरोध करता है।
दिमाग को तेज करता है।
ताम्र सेवन विधि एवं लाभ-
किसी ताम्रपात्र में रात्रि में शुद्ध जल भरकर रखें और सुबह
खाली पेट उस जल का सेवन करें। अगर हो सके तो दिन में भी ताम्रपात्र में रखा जल ही
सेवन करें।
ताम्रपात्र में रखा जल जीवाणु मुक्त स्वच्छ जल बन जाता है
तथा ताम्रयुक्त भी होजाता है। इस प्रकार का जल प्रतिदिन पीने से शरीर रोगाणुमुक्त
बनाने में सहायता मिलती है। यह जल शरीर की अनेक बीमरियों को सही करता है। लीवर के
लिए तो ये जल टॉनिक का कार्य करता है। यह जल शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता को
बढ़ाता है।
तांबे के अच्छे स्रोत-
अंकुरित दाल, हरी सब्जियां, गाजर, सकरकन्द, दूध आदि में ताम्बे की पर्याप्त मात्रा रहती है। आयुर्वेद
में ताम्रभस्म भी बनाई जाती है, इसके सेवन से भी शरीर में ताम्र की पूर्ति की जा सकती है।
परन्तु ध्यान रहे ताम्रभस्म किसी योग्य डॉक्टर की देखरेख में ही सेवन करें।
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