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गोघृत, Cow Ghee

गोघृत, Cow Ghee

गोघृत, Cow Ghee -

धार्मिक और भौतिक रूप से गौमाता पूजनीय हैं और उनसे प्राप्त पंचतत्व- गौदुग्ध (दूध), गोदधि (दही), गोघृत (घी), गौमूत्र और गोमय (गोबर) अत्यन्त उपयोगी हैं। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार पंचगव्य इन्ही पांचों तत्वों से बनता है। जो शारीरिक एवं मानसिक शुद्धता देने वाले हैं।

आयुर्वेदिक एवं धार्मिक ग्रंथों में देशी गाय के घी को अमृततुल्य कहा गया है। गोघृत मानवजीवन के लिए बहुत ही उपयोगी है। जहां ये मानवशरीर के अनेक रोगों को दूर करने की क्षमता रखता है, वहीं वायुमण्डल के विकिरण को भी कम करने की क्षमता रखता है।

गौघृत इस युग का रसायन है जो बचपन, जवानी और बुढ़ापे में समान रूप से उपयोगी है। ऐसे बहुमूल्य गुण अन्य किसी पशु से प्राप्त घी में नहीं होते है।

देशी गाय के 100 ग्राम घी की मात्रा को आम की लकड़ी से प्रज्वलित अग्नि में धीरे-धीरे आहुति दी जाय तो वातावरण में लगभग 1 टन ऑक्सीजन का निर्माण होता है। यही कारण है कि मन्दिरों में देशी गाय के घी का दीपक एवं यज्ञ की व्यवस्था होती है। यह बात वैज्ञानिक प्रयोगों से भी प्रमाणिक हो गया है कि गाय के घी से अग्नि में आहुति देने पर वायुमण्डल शुद्ध, बैक्टीरियारहित और विकिरणमुक्त बनता है।

गाय के घी में पाये जाने वाले स्वर्णक्षार में अनेकों महत्वपूर्ण माइक्रोन्यूट्रीन्स पाये जाते हैं, जो मानवशरीर के अनेक रोगों को दूर करने के साथ कैंसर के बैक्टीरिया से भी लड़ने की क्षमता प्रदान करता है।

देशी गाय के घी से रोगोपचार

1-देशी गाय के घी की दो बूंद को नाक में सुबह एवं रात्रि में डालने से नाक की खुस्की, सिरदर्द, एलर्जी आदि कई रोग सही होते हैं।

2- देशी गाय के घी को प्रतिदिन दो बूंद नाक में डालें और दों बूंद नाभि में डालें तथा तलवों में मालिश करने से बालों का असमय झड़ना रुकता है, नवीन बाल आने लगते हैं, याददास्त सही होती है, प्रतिरोधक शक्ति बढ़ती है।

3- रात्रि को सोते समय देशी गाय के घी को सर, मस्तक एवं तलवों में मालिस करने एवं दो बूंद नाक में डालने से अनिद्रा रोग सही होकर सुख से नींद आती है।

4- देशी गाय के घी में सेंधा नमक मिलाकर छाती में मालिस करने पर छाती में जमा कफ पिघलकर निकल जाता है।

5- देशी गाय के घी का सेवन अच्छे कोलेस्ट्राल को बढ़ाता है और हृदय को बल देता है।

6- देशी गाय के 10 ग्राम घी में 20 ग्राम गुड़ मिलाकर प्रतिदिन सुबह खाली पेट खाकर ऊपर से 200 ग्राम गाय का दूध पियें। लगातार कुछ दिन पीने से हड्डियां मजबूत बनती हैं और वीर्यरोग सही होते हैं।


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