स्वस्थ जीवन कैसे जियें
स्वस्थ जीवन कैसे जियें, Swasth jeevan kaise jiye
सन्तुलित आहार
आपके खाने में अनाज, दाल, सब्जी, फल सभी होने चाहिये मौसम के अनुसार होने वाली हरी सब्जियां तथा फल अधिक मात्रा में खायें। सब्जियों को अधिक तलें नहीं, ज्यादा तली हुई चीजें गरिष्ठ हो जाती हैं, जो पचने में भारी होती है, जिससे पेट में एसीडिटी तथा गैस बनती है। डिब्बा बन्द चीजों का उपयोग बहुत ही कम करें। बाजार में बिकने वाले पैकेट बन्द सूप का उपयोग न करें, इसकी अपेक्षा घर में ही ताजी सब्जियों का सूप बनाकर लें।
पानी अधिक मात्रा में पियें, दिन में कम से कम 8 से 10 गिलास पानी अवश्य पियें। ज्यादा पानी पीने से अन्दरूनी शरीर की सफाई होती है, गुर्दे स्वस्थ रहते हैं। अगर हो सके तो मौसमी फलों सब्जियों का जूस एक गिलास प्रतिदिन लें, इससे शरीर में विटामिन्स, मिनरल की पूर्ति होती है।
सैर, योग, प्राणायाम रोज करें
प्रतिदिन अपनी परिस्थिति के अनुसार सैर अवश्य करें। अपने शरीर की अवस्था के अनुसार सुबह योगासन, प्राणायाम, भस्त्रिका, माँ, ऊँ का उच्चारण करें तथा 15 मिनट ध्यान में अवश्य बैठें। हो सके तो छत में या खुले स्थान में या न खुले स्थान की व्यवस्था न होने पर जैसी व्यवस्था हो उसके अनुसार करें। इससे आपके शरीर को पर्याप्त ऑक्सीजन मिलेगी व शरीर के सभी अंग सुचारु रूप से कार्य करने लगेंगे।
धूम्रपान न करें
धूम्रपान हो या तम्बाकू सेवन, इसे किसी भी स्थिति में न अपनायें क्योंकि बीड़ी, सिगरेट, गांजा या अन्य तम्बाकू का धुआं हमारे फेफड़ों में जाकर एक पर्त बनाता है, जिससे हमारे शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा कम पहुंचती है और खून को ऑक्सीजन कम मिलने से उसमें अनेक विकार आने लगते हैं और वही खून शरीर के सभी अंगों में जाता है। इससे शरीर के सभी अंग रोग ग्रस्त होने लगते हैं।
नशामुक्त जीवन जियें
नशा वह चाहे किसी भी प्रकार का हो शरीर को हानि ही पहुंचाता है। चाहे वह शराब हो या गांजा, अफीम, चरस, हेरोइन, कोकीन या गुटखा, तम्बाकू हो सभी शरीर एवं मन के लिए हानिकारक हैं इससे शरीर की सामान्य क्रियायें बाधित होती हैं और कार्य करने की क्षमता घट जाती है, शरीर अनेक रोगों से घिर जाता है।
मांसाहार न करें
अंडा या मांस चाहे वह किसी भी पशु-पक्षी का हो कभी भी नहीं खाना चाहिये क्योंकि जिस पशु का हम मांस या अण्डा खाते हैं, उस पशु या पक्षी को जो रोग होगा उस रोग के कीटाणु उसके मांस के साथ हमारे शरीर में प्रवेश करते हैं और उस रोग का इंफेक्सन फैलाते हैं कुछ रोगाणु तो मांस पकाने पर समाप्त हो जाते हैं परन्तु कुछ रोगाणु इसके बाद भी बच जाते हैं जो हमारे शरीर में रोगों को जन्म देते हैं और हमारा शरीर उन रोगों से पीड़ित हो जाता है।
Swasth jeevan kaise jiye, Our routine, daily life, health facts, rules and regulation of ayurved and health, disease free life, reasons of illness, our body and health, less food
Swasth jeevan kaise jiye, Our routine, daily life, health facts, rules and regulation of ayurved and health, disease free life, reasons of illness, our body and health, less food
कोई टिप्पणी नहीं