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स्वाइन फ्लू से घबरायें नहीं डटकर मुकाबला करें

स्वाइन फ्लू से घबरायें नहीं डटकर मुकाबला करें, don’t scare with Swine flu and fight to it.

कुछ समय पहले- क्या अखबार, क्या टी.वी. चैनल, क्या इन्टरनेट की साइटें सभी तरफ स्वाइन फ्लू की चर्चा थी। आज से पहले भी अनेंको ऐसे ही घातक रोग समाज के सामने खड़े हो चुके हैं और उन रोगों का उपचार हमारे आयुर्वेदाचार्यों और वैज्ञानिकों ने निकाला है और आगे भी इसी तरह के घातक रोगों का इलाज हमारे आयुर्वेदाचार्य और वैज्ञानिक निकालते रहेंगे। परन्तु हम रोगों के पहले अपना बचाव पक्ष मजबूत कर लें तो यह रोग हमारे ऊपर हावी ही नही हो पायेगें, हमने विचार किया कि च्तमअमदजपवद पे इमजजमत जींद जतमंजउमदज यानी इलाज कराने की अपेक्षा बीमार होने से बचाव करना अच्छा होता है।

जब शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता कमजोर पड़ जाती है तभी इस तरह के रोगों का आक्रमण बड़ी आसानी से हमारे शरीर पर होने लगता है। उसका सबसे बड़ा कारण चारो तरह पैसे कमाने की होड़ में हर चीज में मिलावट करना है, चाहे वह दूध, दही, घी, दाल, गेंहू, सब्जी हो या जीवनरक्षक दवायें हो, यही कारण है कि हमारा शरीर अनेक जाने अन्जाने रोगों का घर बनता जा रहा है।

इसके लिए जरूरी है कि अगर हम अपने शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता को धीरे-धीरे बढ़ा लें तो यह घातक रोग हमारे ऊपर हावी नहीं हो पायेंगे। स्वाइन फ्लू और फुफ्फुस श्वांसरोग के लक्षण मिलते-जुलते हैं, जो सामान्यतः शीतकाल या बसन्तऋतु में एक प्रकार के वायरस के संक्रमण से होता है। इस वायरस के प्रभाव से सर्दी, खांसी, तेज बुखार, पूरे शरीर में थकावट व दर्द होता है।

स्वाइन फ्लू रोग से पीड़ित व्यक्ति अगर किसी के सम्पर्क में आता है तो यह रोग उसे भी होने का खतरा रहता है। इसलिए इस रोग के फैलने से पहले अपने बचाव के कुछ नियम अपना कर इस रोग से बचे रहें साथ ही अगर किसी को यह रोग का संक्रमण हो गया हो तो उसे तुरन्त डाक्टर के पास ले जायें देर न करें।

बचाव के उपायः-

01. शराब और माँस का सेवन पूर्णतया बन्द कर दें, इससे रोगप्रतिरोधक क्षमता क्षीण होती है।
02. गौमूत्र अर्क 5 ग्राम, तुलसी पत्ती 15 नग, गिलोय सत्व आधा ग्राम इन सबको सुबह खाली पेट प्रतिदिन लेने से शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है जिससे किसी भी तरह का वायरस संक्रमण शरीर पर प्रभावी नहीं हो पाता है।
03. प्राणायाम को प्रतिदिन प्रातः ब्रम्हमुहूर्त में नियमित करने से श्वसनतंत्र, फेफड़े मजबूत होते हैं और शरीर को भरपूर आक्सीजन की मात्रा मिलती है, जिससे रक्तशुद्ध होता है। शरीर की रोगों से लड़ने की क्षमता में वृद्धि होती है।
04. कपूर की डली अपने जेब में रखें।
05. यूकेलिप्टस (नीलगिरी)के तेल की कुछ बूंदे रूमाल में डालकर उन्हें नाक से सूंघते रहें।
06. सूर्य किरणों को सुबह शरीर में पड़ने दें, जिससे विटामिन डी पर्याप्त मात्रा में शरीर को मिल सके।
07. खाने में लहसुन, प्याज का सेवन करें।
08. हर्बल चाय जिसमें लवंग, दालचीनी, नीमगिलोय, तुलसी, अदरक, मुलेठी, कालीमिर्च, हल्दी डालकर बनायें और सुबह-शाम गरम-गरम पियें।
09. एलोवीरा (घृतकुमारी) का रस 20 ग्राम, आंवला रस 20 ग्राम, गिलोय सत्व आधा ग्राम, अदरक रस 5 ग्राम प्रतिदिन सुबह लेने से रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।
10. नींद भरपूर मात्रा में लें। उबला साफ पानी ज्यादा से ज्यादा पियें।
11. प्रतिदिन स्नान करें, साफ धुले हुये कपड़े पहने, घर साफ रखें-सोने का कमरा व बिस्तर साफ रखें। खाने से पहले साबुन से हाथ जरूर धोए।

नोटः- 

इस नियमों को प्रतिदिन अपनाने से शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ जाती है जिससे किसी भी तरह का वायरस संक्रमण शरीर पर हावी नहीं होने पाता है और हमारा शरीर अनेकों बीमारियों से बचा रहता है।

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