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पंचगव्य का धार्मिक महत्व


Panchgavya chikitsa

पंचगव्य का धार्मिक एवं आयुर्वेदिक महत्व, Panchgavya chikitsa

पशुओं में सर्वश्रेष्ठ गाय हमारी माता है। ऐसा हमारे शास्त्रों में कहा गया है। इसके साथ ही गाय को पूजनीया माना गया है। शास्त्रों में यहां तक बताया गया है कि गाय के शरीर में सभी देवी देवताओं का वास है। इसी से समझा जा सकता है कि गाय हमारे लिए कितनी पूजनीय एवं उपयोगी है।

इसी गाय के पंचांग को पंचगव्य कहते है और ये पंचांग है- गाय का दूध, दही, घृत, गौमूत्र एवं गोबर। इन पांचों का मिश्रण ही पंचगव्य कहलाता है। गाय के गोबर को हमारे शास्त्रों में इतना पवित्र माना जाता है कि किसी भी धार्मिक पूजन एवं अनुष्ठान में गाय के गोबर के गणेश जी बनाकर पूजन किया जाता है तथा पंचगव्य को प्रसाद के रूप में देवताओं को समर्पित कर सभी को भक्षण हेतु दिया जाता है। इसी से आप समझ सकते है कि पंचगव्य का धार्मिक महत्व क्या है।

आयुर्वेद में भी पंचगव्य का बड़ा महत्व है। गौमूत्र से अनेक जहरीली औषधियों को शुद्ध किया जाता है और इसी शुद्धिकरण के बाद वह दवायें जीवनदायी बन जाती है। गौमूत्र से कई दवायें निर्मित होती है जैसे गौमूत्र अर्क। यह 

गौमूत्र अर्क अनेक तरह के शरीर गत रोगों को दूर करने की सामर्थ्य रखता है।

हम यहां पर पंचगव्य के ऊपर वैज्ञानिक रिसर्च से निकली जानकारी देने की कोशिश कर रहे है, जो अनेक जगह मिल जायेगी।

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