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पृथ्वी तत्त्व चिकित्सा

Prithvi tatva chikitsa

पृथ्वी तत्त्व चिकित्सा, Earth elements treatment

यह जगत् पंचतत्त्वों से संचालित है। मानव, पशु-पक्षी, कीट-पतंग और पेड़-पौधे सभी पंचतत्त्वों से निर्मित हैं। इन पांच तत्त्वों में पृथ्वी तत्त्व सबसे महत्त्वपूर्ण तत्त्व है। पृथ्वी को माता कहा गया है, अर्थात् पृथ्वी मातृतत्त्व का प्रतिनिधित्व करती है। पृथ्वी तत्त्व का प्रतिरूप मिट्टी है, जो अनेक रोगों को नष्ट करने वाली है।
प्राकृतिक चिकित्सा के अनुसार, मिट्टी में बहुत ही उपयोगी गुण विद्यमान हैं। बीज का अंकुरण मिट्टी में समाहित होकर ही होता है और वही बीज भविष्य में विशाल वृक्ष का स्वरूप धारण करता हुआ लोगों को सुख देता है।

मिट्टी से प्लेग चिकित्सा-

गांधी जी प्राकृतिक चिकित्सा को अपने जीवन में बहुत महत्त्व देते थे। उन्होंने अपनी पुस्तक में भी इसका जिक्र किया है। एक समय दक्षिण अफ्रीका में प्लेग का प्रकोप बहुत तीव्रता से चल रहा था। सैकड़ों लोग इससे पीड़ित थे और मर रहे थे। उस समय गांधी जी ने मिट्टी चिकित्सा के माध्यम से अनेक रोगियों को सही किया था। जब कभी स्वयं बीमार होते थे, तो वे प्राकृतिक चिकित्सा का सहारा लेते थे। प्राकृतिक चिकित्सा पूर्ण प्रभावक व निरापद पैथी है। इसके उपयोग से शरीर के अनेक रोग ठीक होते हैं और इसका कोई साइड इफेक्ट भी नहीं होता है।

मिट्टी के रोग निवारक गुण-

प्रसिद्ध प्राकृतिक चिकित्सक डॉक्टर लुई कूने के अनुसार, प्राकृतिक चिकित्सा से अनेक रोगों को जड़ से सही किया जा सकता है। जिस तरह अनेक तत्त्व पौष्टिक एवं शरीर के लिए लाभकारी हैं, उसी तरह मिट्टी तत्त्व भी शरीर के लिए बहुत ही लाभकारी है। इससे अनेक रोग मिटते है।
जर्मन के प्रसिद्ध प्राकृतिक चिकित्सा विशेषज्ञ जुस्ट ने अपनी पुस्तक रिटर्न टु नेचरमें लिखा है कि मिट्टी में रोग निवारण के अनेक गुण विद्यमान है। इससे कब्ज, सिरदर्द, ज्वर, पेट दर्द तथा बिच्छू एवं ततैया के काटे को भी सही किया जा सकता है। शरीर में मिट्टी के लेपन से शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।

मिट्टी के विष निवारक गुण-

भुरभुरी एवं नरम मिट्टी में पानी डालकर उसमें लेटने से त्वचा को बड़ी राहत मिलती है। शरीर की गर्मी शान्त होती है। शरीर में मिट्टी के लेपन से आंतों को बहुत लाभ मिलता है। मिट्टी विष के प्रभाव को नष्ट करती है, जिससे बिच्छू, ततैया या मधुमक्खी के जहर को शान्त करती है। शरीर में आई सूजन को भी मिट्टी लेपन से आराम मिलता है। एक घण्टे नमीयुक्त भुरभुरी मिट्टी में प्रतिदिन लेटने से मानसिक तनाव से मुक्ति मिलती है और शरीर की बढ़ी हुई ऊष्मा सन्तुलित होती है।

मिट्टी के रंग, रूप-

मिट्टी रंग, रूप और स्थानों के परिवर्तन के कारण अनेक प्रकार की होती है। प्राकृतिक चिकित्सकों के अनुसार प्राकृतिक चिकित्सा में काली, लाल, सफेद, पीली, बालू, सज्जी मिट्टी व गेरु मिट्टी का उपयोग होता है। इन सब में काली मिट्टी सबसे ज्यादा उपयोगी मानी गई है। इसमें रोग निवारण के अनेक गुण मौजूद हैं।
गांव-देहात में आज भी साबुन की अपेक्षा काली मिट्टी का उपयोग बहुतायत से होता है। स्नान के समय सुबह काली मिट्टी से सर के बालों को रगड़-रगड़कर धोया जाये, तो बाल बहुत ही साफ, मुलायम और चमकीले रहते हैं। बालों का झड़ना सही होता है। बाल लम्बे, घने एवं मजबूत होते हैं।
गोपीचन्दन नामक सफेद मिट्टी को सर में लेप करने से सरदर्द सही होता है। पूरे शरीर में काली मिट्टी का लेप करने से किसी भी तरह के विष के प्रकोप को यह मिट्टी अपने अन्दर अवशोषित कर लेती है, शरीर की बढ़ी हुई गर्मी शान्त करती है और शरीर को साफ एवं स्वच्छ तथा चमकीली बनाती है।
कब्ज रोग में काली तथा लाल मिट्टी की पट्टी पेट एवं पेडू में कुछ दिन रखने से कब्ज की शिकायत धीरे-धीरे दूर होती है और लम्बे समय तक कब्ज नहीं बनता है।

गर्मी में मिट्टी चिकित्सा-

गर्मी की ऋतु में सभी स्त्री-पुरुष एवं बच्चों के शरीर में छोटी-छोटी फुन्सियां (घमोरिया) निकल आती हैं। उस स्थिति में काली एवं सफेद मिट्टी का लेप पूरे शरीर में या घमौरिया वाली लगह में लगातार कुछ दिन करने से वहां की जलन एवं खुजली शान्त होती है और धीरे-धीरे घमौरिया भी सही होती है।
गर्मियों के मौसम में तेलीय त्वचा वाले व्यक्ति परेशान रहते हैं। उनके पूरे शरीर में एवं चेहरे पर आयल की चिपचिपाहट परेशान करती रहती है। ऐसी स्थिति में प्रतिदिन सुबह स्नान के समय काली मिट्टी से पूरे शरीर को अच्छी तरह से रगड़कर स्नान करें। इससे तेलीय त्वचा स्वच्छ एवं चमकदार बनती है। काली मिट्टी में अगर नीबू का रस मिला लिया जाये, तो और अच्छा रहता है।
चेहरे पर मुहासों की अधिकता से चेहरा बदसूरत लगता है। काली मिट्टी में दही और नीबू का रस मिलाकर चेहरे पर लेप करें, तथा उसके बीस मिनट बाद चेहरे को साफ पानी से धुलें। इस प्रकार कुछ दिन सुबह एवं शाम को लेप करने से मुहासे कम होने लगते हैं और धीरे-धीरे चेहरा सुन्दर एवं चमकीला बन जाता है।

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