Header Ads

अग्नि तत्त्व चिकित्सा

Agni tatva chikitsa

अग्नि तत्त्व चिकित्सा, Fire treatment

सूर्य किरण चिकित्सा

ऋग्वेद में सूर्य को समस्त विश्व की आत्मा कहा गया है, क्योंकि पृथ्वी पर ऋतु परिवर्तन हेतु ऊष्मा, वायु जल आदि की उत्पत्ति सूर्य के माध्यम से ही होती है।
सूर्य की गर्मी से समुद्र का जल वाष्प बनकर ऊपर आकाश में उड़ जाता है और यही वाष्प बादलों के रूप में चारों तरफ से इकट्ठा होकर पृथ्वी पर पानी की बरसात करता है। इसी वर्षा से सूखी हुई नदियां पुनः बहने लगती हैं और समस्त पृथ्वी को हरा भरा करती हैं। गर्मी के बाद होने वाली बरसात समस्त पृथ्वी की वनस्पतियों को नव जीवन प्रदान करती हैं, जिससे सम्पूर्ण पृथ्वी जीवन्त एवं सुन्दर हरी-भरी दिखने लगती है।
सूर्य की किरणों में अद्भुत ऊर्जात्मक शक्ति होती है, जो वायु में फैले जीवाणुओं को नष्ट करती है और यही वायु हमारे शरीर में प्रविष्ट होकर हमें आरोग्यता प्रदान करती है।

ग्रीष्म ऋतु में सूर्य की किरणें-

ग्रीष्म ऋतु में सूर्योदय के समय निकली सूर्य किरणें मानव जीवन के लिए लाभप्रद होती हैं; मानव शरीर के अनेक रोगों को नष्ट करती हैं। परन्तु, दोपहर में यही सूर्य की किरणें इतनी प्रखर एवं ऊष्मायुक्त होती हैं कि उससे शरीर को हानि पहुंचती है। अतः ग्रीष्म ऋतु में सूर्योदय के समय ही सूर्य किरणों का लाभ लेना चाहिए।

शीत ऋतु में सूर्य की किरणें-

शीत ऋतु में शीत की अधिकता से मानव शरीर ठंड से परेशान रहता है। इस ऋतु में पूरे दिन की किरणें सर्दी से राहत देती हैं। परन्तु, सुबह की गुलाबी किरणें मानव शरीर के लिए अत्यन्त उपयोगी रहती हैं, जो मनुष्य के अन्दर नई शक्ति, ओज तथा स्फूर्ति भरती हैं। साथ ही मानव शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाती है।

सूर्य जलार्पण चिकित्सा-

धार्मिक एवं आध्यात्मिक दृष्टि से हमारे जीवन में सूर्य उपासना का एक अपना महत्त्व है। आयुर्वेदीय दृष्टि से भी बहुत महत्व है, जैसे सूर्य को जल अर्पण करने का नियम है। इसके पीछे प्राकृतिक चिकित्सा के विशेष लाभकारी गुणों को जानने की जरूरत है। जब कोई स्त्री या पुरुष प्रातःकाल नदी या सरोवर के जल में कमर तक खड़े होकर सूर्य की तरफ मुख करके जल अर्पण करता है या ऐसे ही सुबह स्नान करके किसी पात्र में जल लेकर उस पात्र को सर से ऊपर उठाकर सूर्य की तरफ देखते हुए सूर्य को जल अर्पण करता है, तो उस स्थिति में सूर्य और आंखों के बीच में जलधारा रहती है। इससे छनकर सूर्य की किरणें स्त्री-पुरुष के नेत्रों और शरीर में पड़ती है, जो नेत्र व शरीर के लिए बहुत ही उपयोगी रहती हैं। ये किरणें अनेक रोगों के वैक्टीरिया को नष्ट करने वाली है तथा शरीर में विटामिन डी की पूर्ति करती है एवं नेत्रों की ज्योति को बढ़ाने वाली होती है।

सूर्य किरण और योग-

योगाचार्यों के अनुसार सुबह सूर्योदय के समय वायु लगभग कीटाणुमुक्त रहती है और वायुमण्डल में ऑक्सीजन की भरपूर मात्रा रहती है, ऐसी स्थिति में प्राणायाम एवं योगासन करने से प्रथम सूर्य की किरणों की पोजिटिव ऊर्जा हमारे शरीर को प्राप्त होती है। इससे शरीर अनेक रोगों से मुक्त होता है एवं शरीर की रोग प्रतिरोधक शक्ति जाग्रत होती है।

सूर्योदय का सूर्यनमस्कार-

सूर्योदय के समय सूर्यनमस्कार की प्रक्रिया भी सूर्य किरण चिकित्सा का ही एक अंग है। सुबह सूर्योदय के समय जो गुलाबी किरणें सूर्य से निकलकर समस्त पृथ्वी पर फैलती हैं, उससे हजारों तरह के जीवाणु नष्ट होते हैं, वायुमण्डल शुद्ध रहता है, ऑक्सीजन भरपूर मात्रा में चारों तरफ विद्यमान रहती है। ऐसी स्थिति में अधोवस्त्र पहने सूर्यनमस्कार करने से शरीर का पूर्ण योग और प्राणायाम हो जाता है तथा सूर्य की किरणें सारे शरीर की सुस्ती को मिटाकर नई स्फूर्ति भरती हैं। इससे पूरा दिन नई उमंग एवं नव चेतना से भरा हुआ गुजरता है। शरीर के अनेक रोग नष्ट हेाते हैं।

सूर्योदय से नई चेतना का संचार-

प्रतिदिन हम देखते हैं कि सूर्योदय के पहले चिड़ियों का चहचहाना प्रारम्भ हो जाता है। मुर्गा बार-बार बांग देता है। पक्षियों में एक नई उमंग दिखती है। इन बातों का सभी पशु-पक्षियों को पहले से पता है कि सूर्योदय के समय घोसलों में रहने की अपेक्षा सूर्य की किरणों के सम्पर्क में आने से शरीर में नई चेतना का संचार होता है, आलस्य समाप्त होता है तथा शरीर एवं मन एक नई चेतना शक्ति से भर जाता है।
सूर्य किरणों में किसी भी पशु-पक्षी या मानव शरीर को आरोग्य प्रदान करने की अद्भुत क्षमता है, जैसे क्षय रोग के जीवाणुओं को पानी में उबालने से भी नष्ट नहीं होते हैं, परन्तु सूर्य की धूप में यह जीवाणु नष्ट हो जाते हैं।

सूर्य के सप्तरंग-

सूर्य की नारंगी किरणें हृदय विकारों को नष्ट करने वाली हैं, हृदय को बलवान् करने वाली है और पीलिया रोग में लाभकारी है।
सूर्य की लाल रंग की किरणें शरीर को गर्मी प्रदान करने वाली हैं। इनसे सर्दी बहुत जल्दी भागती है तथा सर्दी-जुकाम दूर होता है।
सूर्य की किरणों में सात रंग समाहित हैं। बरसात में कभी-कभी सप्तरंगी धनुष दिखता है, जो बहुत ही सुन्दर एवं मन को लुभाने वाला होता है। ये इन्द्रधनुषी रंग हमारे जीवन में भी होते हैं और इन्हीं रंगों की किरणों से हम अपने शरीर के सभी रोगों को दूर कर सकते हैं।

Agni tatva chikitsa, Fire treatment, Panchtatva chikitsa, Five elements

कोई टिप्पणी नहीं

Featured Post

dfli के थीम चित्र. Blogger द्वारा संचालित.