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गोमूत्र, Cow Urine

गोमूत्र, Cow Urine

गोमूत्र, Cow Urine -

गौमूत्र मानव जाति के लिए प्रकृति द्वारा प्रदत्त अमूल्य वरदान है। यह शरीर के 90 प्रतिशत रोगों को सही करने की सामर्थ्य रखता है। बकाया 10 प्रतिशत रोग तो मनुष्य द्वारा किये गये कुकर्मों के फलस्वरूप न ठीक होने वाले रोग के रूप में होते हैं, जिन्हें केवल माँ भगवती जगत् जननी जगदम्बा जी या पूज्य श्री सद्गुरुदेव जी महाराज द्वारा ही ठीक किया जा सकता है।

आयुर्वेदाचार्यों के मतानुसार गोमूत्र कटु, तिक्त तथा कषाय रसवाला, तीक्ष्ण, ऊष्ण, क्षार, लघु, अग्निदीपक, पित्त को बढ़ाने वाला, कफ और वात का नाश करने वाला एवं स्मरणशक्ति को बढ़ाने वाला है। यह उदररोग, खुजली, मुखरोग, दर्दहर, गांठ को सही करने वाला, श्वांस, यकृत के रोग, कैंसर जैसे रोगों को भी नष्ट करने वाला है।

प्रयोगशाला परीक्षण करने पर गौमूत्र में विटामिन ए; बी; सी; डी; ई; पोटैशियम, सोडियम, फास्फेट, कैल्सियम, मैग्नीज, लवण, कार्बोलिकएसिड, यूरिकएसिड ,तांबा ,लौह ,गंधक, लैक्टोज, यूरिया आदि अनेकों पोषकक्षार, खनिज स्वाभाविक स्थिति में प्रचुर मात्रा में विद्यमान रहते है।

विभिन्न रोग निवारण हेतु अलग-अलग विधियों द्वारा गौमूत्र सेवन किया जाता है, जैसे कि किसी रोग की स्थिति में निश्चित मात्रा में पीना, शरीर में सूजन या दर्द के समय गोमूत्र की मालिश करना, किसी अंग विशेष पर पट्टी रखना, नस्य लेना, ऐनिमा लेना, गर्म सेक करना प्रमुख हैं। गौमूत्र पीने के लिए सदैव ताजा ही लें। विदेशी गाय का मूत्र उपयोग न करें।

गोमूत्र प्रकृति का वह वरदान है, जो बीमारों को स्वस्थ एवं निरोगी को लम्बी उम्र प्रदान करता है। बीमार व्यक्ति सुबह खाली पेट एवं रात्रि में खाना खाने के बाद 15 ग्राम गौमूत्र को 15 ग्राम शहद और 25 ग्राम पानी मिलाकर पियें। ध्यान रहे कि शहद शुद्ध ही लें। सुबह दवा पीने के एक घण्टे के बाद ही कुछ नाश्ता लें, तो ज्यादा फायदा होगा। इसको उचित मात्रा में पीने से कोई भी साइड इफेक्ट नहीं होता है, न ही नुकसान करता है। बच्चों को इसकी आधी खुराक दें। यही मात्रा निरोग व्यक्ति प्रतिदिन लगातार लेते रहें तो कोई रोग पास नहीं आते हैं। यह शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता जाग्रत करता है। गौमूत्र मानव समाज के लिए बहुत उपयोगी रसायन है, परन्तु सभी लोग इसका सेवन नहीं कर पाते है। कुछ लोग इसकी गंध की वजह से इसका सेवन नहीं कर पाते। कुछ लोग पीना चाहते हैं तो उन्हें मिल नहीं पाता है। गांवो में तो शुद्ध मिलने की उम्मीद रहती है। परन्तु शहरों में न तो सभी लोग गायें पाल सकते हैं, न ही उन्हे गौमूत्र मिल सकता है। इसलिए यह बहुमूल्य रसायन होते हुये भी इसका लाभ अधिकांश समाज नहीं ले पा रहा है।

कुछ संस्थाओं एवं गौशालाओं ने एक सराहनीय कार्य किया है कि गौमूत्र का अर्क निकालकर समाज तक पहुँचाने का बीड़ा उठाया है। जो व्यक्ति गौमूत्र की गंध के कारण या न मिलने के कारण उसका सेवन नहीं कर पाते थे वे गोमूत्र के अर्क का सेवन करके वही सब गुण प्राप्तकर सकते हैं। शुद्ध गौमूत्र के पीने से कुछ अवांछित लवण भी हमें पीने पड़ते थे, परन्तु अर्क में यह समस्या नहीं रहती है। किसी भी औषधि का अगर उचित विधि से अर्क निकाल लिया जाय तो उससे ज्यादा उसके अर्क में लाभकारी गुण आजाते हैं और उसकी गंध भी कम हो जाती है, स्वाद भी ठीक हो जाता है और फायदा बढ़ जाता है। अलग-अलग रोगों में अलग-अलग मात्रा में पीने का विधान है, आज जिस तरह खान-पान में अनियमितता है, गेहूँ, सब्जी, चावल में रासायनिक खाद डालकर पैदावार बढ़ाई जा रही है और कीटनाशक डालकर दूषित किया जा रहा है, इसके कारण 4-5 वर्ष के बच्चे को कैंसर जैसी बीमारी पकड़ रही है, छोटी उम्र में आंख पर चश्मा लग रहा है, डायबिटीज हो रही है, हृदय में छेद हो रहा है और मानसिक रूप से अपंग बच्चे पैदा हो रहे हैं। सहनशीलता की कमी हो रही है। इन सबसे बचने का एक महत्त्वपूर्ण उपाय प्रकृति ने हमें गौमूत्र अर्क के रूप में सुझाया है।

गौमूत्र अर्क हमारे शरीर से टॉक्सीन को बाहर निकालता है और रोगों से लड़ने की क्षमता उत्पन्न करता है। यह कीटाणु नाशक है। इसमें सभी तरह के विटामिन, मिनरल्स, कार्बाेलिक एसिड, फास्फेट, पोटैशियम, कैल्सियम एवं यूरिया प्रचुर मात्रा में होते हैं। 

गौमूत्र अर्क से रोग निवारण

(1) कब्ज- गौमूत्र अर्क 10 ग्राम को छोटी हरड के चूर्ण 3 ग्राम तथा कालानमक का चूर्ण आधा ग्राम में मिलाकर शाम को खाने के बाद प्रतिदिन 90 दिन या जब तक रोग सही न हो जाये खायें, कब्ज सही होगा।

(2) यकृत के रोग- सफेद पथरचटा के सूखे 3 ग्राम चूर्ण में 10 ग्राम गौमूत्र अर्क मिलाकर लगातार खाते रहने पर यकृत की सूजन तथा तिल्ली के समस्त रोगों में लाभकारी है एवं किसी तरह की पथरी भी गलकर निकल जाती है।

(3) वायु (गैस)- सौंफ 50 ग्राम, सौंठ 50 ग्राम, काला नमक 30 ग्राम, काली मिर्च 10 ग्राम, चित्रक 50 ग्राम, अजवायन 50 ग्राम, गिलोय 50 ग्राम, बड़ी इलायची के बीज 20 ग्राम, हींग अच्छी (हींग को आग में भून कर ही मिलायें) इन सब औषधियों को पीसकर बारीक पाउडर बनाकर एक डिब्बी में रख लें। खाना खाने के बाद इस दवा का चूर्ण 5 ग्राम तथा गौमूत्र का अर्क 5 ग्राम दोनों को मिलाकर सुबह खाने के बाद तथा शाम को भी खाने के बाद लगातार 90 दिन तक लेते रहने से पेट में गैस बनना बन्द हो जाती है तथा पाचनशक्ति भी बढ़ जाती है। 

(4) पेट के कीड़े - बायबिरंग का चूर्ण 3 ग्राम को 10 ग्राम गौमूत्र अर्क के साथ सुबह खाली पेट लगातार 9 दिन तक लेते रहने से पेट के समस्त कृमि खत्म हो जाते हैं। 

(5) सर्दी, जुकाम तथा श्वांस- सफेद फिटकरी को आग में भूनकर चूर्ण बना लें। उसे आधा ग्राम की मात्रा में 10 ग्राम गौमूत्र अर्क के साथ सुबह-शाम लेते रहने से सर्दी-जुकाम पूरी तरह सही हो जाता है, यहाँ तक कि श्वांस रोग भी सही होता है।

(6) जोड़ों का दर्द- महायोगराज गुग्गल की एक गोली को 10 ग्राम गौमूत्र अर्क के साथ सुबह-शाम लेते रहने से जोड़ों का दर्द एवं वात आदि सही होता है।

(7) कोलेस्ट्रॉल, हृदय रोग- 5 ग्राम अर्जुन की छाल के चूर्ण में 10 ग्राम गौमूत्र अर्क मिलाकर प्रतिदिन सुबह खाली पेट खाते रहने से हृदय से सम्बन्धित सभी रोगों में पूर्ण लाभकारी है, यहां तक देखा गया है कि इसके लगातार सेवन से हृदय पूर्ण स्वस्थ हो जाता है। आपरेशन की जरूरत भी खत्म हो जाती है। कोलेस्ट्रॉल की मात्रा नॉर्मल हो जाती है।

(8) दाद, खाज, खुजली, सोरायसिस, अकौता - 10 ग्राम गौमूत्र अर्क को प्रतिदिन पीते रहने तथा गंधक को गौमूत्र अर्क में मिलाकर प्रभावित स्थान में प्रतिदिन लगाते रहने पर सम्बन्धित रोग सही हो जाते हैं। यह दवा धैर्यपूर्वक रोग सही होने तक लगातार लेते रहें। 

(9) आंख और कान की समस्त बीमारियां- गौमूत्र अर्क को आँख व कान में एक-एक बूँद प्रतिदिन डालें। आँख और कान के रोगों में लाभ मिलता है।

(9) कैंसर- पीपल वृक्ष के कोमल पत्ते तीन नग को 15 ग्राम गौमूत्र अर्क के साथ सुबह खाली पेट एवं रात्रि में सोते समय प्रतिदिन रोग समाप्त होने तक सेवन करें।

नोट- यहाँ कुछ ही बीमारियों के विषय में लिखा जा रहा है परन्तु जो बीमारियाँ हम नहीं लिख पा रहें है उनमें भी यह गौमूत्र अर्क प्रभावी ढंग से कार्य करता है। अतः इसे प्रत्येक रोगी तथा स्वस्थ व्यक्ति सेवन कर सकता है।


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