सुबह स्नान के चमत्कारिक लाभ (Magical benefit to morning bath)
सुबह स्नान के चमत्कारिक लाभ (Magical benefit to morning bath)
शारीरिक चैतन्यता और स्वास्थ्य बनाये रखने के लिए यह आवश्यक है कि प्रतिदिन सूर्योदय से पहले स्नान करें। सूर्योदय से पहले स्नान करने से अनेक चमत्कारिक लाभ प्राप्त करके आप सदा प्रसन्न रह सकते हैं।स्नान करते समय यहां दी गई बातों का ध्यान रखना आवश्यक है-
स्नान करते समय सबसे पहले सिर पर पानी डालना चाहिए, इसके बाद पूरे शरीर पर। इसके पीछे भी वैज्ञानिक कारण है, इस प्रकार नहाने से हमारे सिर एवं शरीर के ऊपरी हिस्सों की गर्मी पैरों से बाहर निकल जाती है। इससे पूरे शरीर को शीतलता प्राप्त होती है, मन शांत होता है, आलस्य और थकावट भी दूर हो जाती है।
सुबह जल्दी स्नान करने से मिलने वाले लाभ- सुबह जल्दी सोकर उठना अनिवार्य है। जल्दी जागकर सूर्योदय से पूर्व नहाने से त्वचा की चमक बढ़ती है और दिनभर के कामों में आलस्य का सामना नहीं करना पड़ता। जो लोग देर से स्नान करते हैं, उनमें आलस्य अधिक रहता है, वे जल्दी थक जाते हैं और उनकी कम उम्र में ही त्वचा की चमक गायब हो जाती है।
सुबह जल्दी उठकर स्नान करने के बाद प्रतिदिन सूर्योदय के समय सूर्य को जल अर्पित करना चाहिए। सूर्य को जल चढ़ाने से मान-सम्मान की प्राप्ति होती है, ऑफिस हो या घर सभी जगह वाहवाही होती है।
स्नान करने से पूर्व तेल मालिश करें- स्नान करने से पहले शरीर की अच्छी तरह से तेल मालिश करना चाहिए। तेल मालिश से स्वास्थ्य और त्वचा दोनों को ही लाभ प्राप्त होता है। इससे त्वचा की चमक बढ़ती है। इस संबंध में यह ध्यान रखना चाहिए कि मालिश के आधे घंटे बाद शरीर को रगड़-रगड़ कर स्नान करना चाहिए। नहाने के बाद तेल पूरी तरह साफ हो जाना चाहिए। तेल मालिश से शरीर के रोम छिद्रों के द्वार साफ हो जाते हैं, रोम छिद्रों की गंदगी नहाने के बाद निकल जाती है। जिससे वातावरण से प्राप्त होने वाली ऊर्जा सीधे-सीधे शरीर को मिलने लगती है।
स्नान करने के बाद करें मंत्रों का जाप- स्नान करने के बाद स्वच्छ स्थान पर या पूजनस्थल पर बैठकर चेतनामंत्र और गुरुमंत्र तथा सहायक शक्तियों के मंत्र का जाप करना चाहिए।। ऐसा करने से चेतनात्मक लाभ प्राप्त होता है।
चेतनामंत्र-ऊँ जगदम्बिके दुर्गायै नमः। गुरुमंत्र- ऊँ शक्तिपुत्राय गुरुभ्यो नमः। सहायक शक्तियों के मंत्र- ऊँ हन् हनमते नमः। ऊँ गं गणपतये नमः। ऊँ भ्रं भैरवाय नमः। चेतनामंत्र और गुरुमंत्र का जाप कम से कम पांच बार और सहायक शक्तियों के मंत्र तीन-तीन बार अवश्य जपना चाहिये। इससे ध्यान एकाग्र होता है।
प्रायः यह देखा जा रहा है कि अधिकांशतया लोग सूर्योदय के बाद ही स्नान करते हैं। जो लोग सूर्योदय के बाद स्नान करते हैं, उन्हें वह चेतनात्मक लाभ प्राप्त नहीं होता, जो कि मिलना चाहिये। माँ आदिशक्ति जगत् जननी जगदम्बा और सद्गुरु की कृपा प्राप्त करने के लिये सूर्योदय से पहले स्नान करना बहुत जरूरी है। जो सुबह स्नान न कर पायें, वे बाद में भी स्नान कर सकते हैं। प्रतिदिन स्नान करने से भी व्यक्ति के जीवन की कई समस्याएं दूर हो जाती हैं।
वेद-शास्त्रों का मत है कि सूर्योदय से पहले जब आकाश में तारे दिखाई दे रहे हों, उस समय के स्नान को ऋषि स्नान कहा जाता है। सामान्यतः जो स्नान सूर्योदय के पूर्व किया जाता है वह मानव स्नान कहलाता है और सूर्योदय से पूर्व किए जाने वाले स्नान को स्वास्थ्यवर्धक कहा जाता है। जबकि वर्तमान में अधिकांश लोग सूर्योदय के बाद, पहले बेड टी लेते हैं, और नाश्ता करने के बाद स्नान करते हैं। यही कारण है कि दिनभर आलस्य घेरे रहता है और विभिन्न बीमारियां शरीर को घेरे रहती हैं।
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