क्या सभी गिल्टियां कैंसर की होती हैं..? ( Are there all stones of Cancer?)
इनका इलाज शुरू में संभव है दवाओं के माध्यम से या आपरेशन से। कुछ गांठे टी. वी. की होती है जो गले, कांख, जांघों के ऊपरी हिस्से तथा पेट में हो जाती हैं, इनमें पहले दर्द नही होता परन्तु बाद में मवाद बन जाता है और आम साइनस का रूप बन जाता है। इन गांठों की वजह से भूख न लगना, वजन घटना, बुखार आना मुख्य लक्षण होते हैं, कुछ मरीजों में यह गांठे दिमाग में हो जाती हैं जिसे ट्यूबरकुलांमा के नाम से जानते हैं जो सी.टी. स्केन के द्वारा देखी जा सकती हैं। प्रारम्भिक अवस्था में दवाओं व आपरेशन से ठीक किया जा सकता है।
कुछ गांठे जो शरीर के विभिन्न अंगो में बनती है, बाद में अपने आप भी सही हो जाती हैं। कुछ गांठे शरीर में रहने पर भी कोई हानि नही पहुचाती हैं। इसलिए जिस भी किसी के शरीर में गांठे बन रही हों उन्हें तुरन्त गांठे देख कर घबराना नहीं चाहिये तथा उन्हें किसी अच्छे डाक्टर से चेक कराना चाहिये और इलाज कराना चाहिये। प्रारम्भिक अवस्था में टी. वी. की गांठें, दवा व आपरेशन से सही हो जाती हैं। ज्यादातर गांठें अंडा, मांस, मछली खाने एवं शराब पीने वालों को ही होती हैं, इसलिए मांसभक्षण एवं शराब सेवन तथा तम्बाकू, बीड़ी, सिगरेट गुटका आदि नही खाने चाहिये तथा पूर्ण शाकाहारी भोजन ही करें। हरी सब्जियाँ व सलाद आदि का सेवन करें, सीजन के अनुसार फलों का सेवन करें तथा ज्यादा तली हुई, ज्यादा मिर्च मसाले युक्त, आज के फास्ट फूड आदि भोजन को कम से कम मात्रा में करें । सुबह प्रतिदिन एक किलोमीटर तक पैदल टहलें जिससे आक्सीजन की मात्रा ज्यादा से ज्यादा शरीर में जा सके। प्रतिदिन सुबह खुले वातावरण में प्राणायाम एवं योगासन आदि भी करें। प्रतिदिन तुलसी के ताजे 15 पत्ते 10 ग्राम गौमूत्र अर्क के साथ सुबह खाली पेट सेवन करें तो पेट की कब्ज तथा कैंसर के बनने की संभावना न के बराबर हो जाती है।
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