बीमारी का घर है कैलोरीफ्री शुगर (Calorie free sugar is house of Disease)
बीमारी का घर है कैलोरीफ्री शुगर (Calorie free sugar is house of Disease)
कैलोरीफ्री शुगर का नाम जितना डायबिटीज वालों को लुभावना लगता है, उससे कहीं ज्यादा शरीर के लिए नुकसानदायक है। यह हमारे शरीर में मिठास की बजाय जहर घोल रहा है।ऐसे रासायनिक तत्व, जो चीनी से कई गुना मीठे होते हैं, किन्तु उनमें ऊर्जा न्यून होती है। ऐसे घटक कैलोरी फ्री शुगर के नाम से जाने जाते हैं। इनमें ऐसे कई नाम है, जिनका जन्म वैज्ञानिक प्रयोगशालाओं में हुआ है।
- सेकरिन-यह चीनी की अपेक्षा 500 गुना अधिक मीठी होती है और चीनी की जगह उपयोग की जाती है। कुछ समय उपयोग के बाद शरीर में कैंसर के लक्षण दिखने का खतरा रहता है। अतः इसका उपयोग सोच-समझकर एवं कम मात्रा में करना चाहिए।
- स्पार्टम- इसका जन्म भी रासायनिक प्रयोगशालाओं में ही हुआ है। चीनी की अपेक्षा 200 गुना ज्यादा मीठी रहती है। इसके बावजूद शरीर के लिए नुकसानदायक है।
- एसी सल्फेन- इसका अविष्कार भी प्रयोगशालाओं में ही हुआ है, जो सामान्य चीनी से 180 गुना तक मीठी है परन्तु यह भी शरीर के लिए नुकसानदायक है।
- सुक्रोलोज- इसका अविष्कार भी रासायनिक प्रयोगशालाओं में ही हुआ है। यह चीनी से 600 गुना मीठी है। अन्य सभी रासायनिकों से यह कम नुकसानदायक है। इसलिए इसे विश्वस्तर पर स्वीकारा गया है।
कैलोरीफ्री शुगर में जितने भी घटक विद्यमान हैं, वे कम या ज्यादा शरीर के लिए नुकसानदायक हैं। इसलिए वैज्ञानिकों और डॉक्टरों द्वारा शुगर फ्री को निश्चित मात्रा में प्रति व्यक्ति प्रतिदिन लेने का निर्धारण किया गया है।
शुगरफ्री घटक ऊर्जा विहीन होने के बाद भी मोटापा बढ़ाने में सहायक है। इसके साथ ही चमड़ी के रोगों को पैदा करते है। चर्मरोग, खुजली, ऐग्जिमा आदि पैदा करते है। जीभ में छाले, अतिसार, सांस की बीमारी तथा मिचली, सिरदर्द, स्वभाव में परिवर्तन, मूर्च्छा, अपस्मार तथा मनोरोग जैसे घातक रोगों को निमंत्रण देते हैं। इसके अलावा फेफड़ों, किडनी और थाइराइड तथा स्तन कैंसर की उत्पत्ति के भी सहयोगी बनते हैं।
ये सभी द्रव्य गर्भवती महिलाओं पर भी पर्याप्त दुष्प्रभाव डालते हैं, जिससे बच्चे में भी दुष्प्रभाव पड़ता है। अतः ये कैलोरीफ्री शुगर सावधानी के साथ ही उपयोग करें। अगर हो सके, तो इसका उपयोग न के बराबर ही करें, तो अच्छा है।
जो व्यक्ति डायबिटीज रोग से ग्रसित है, उसे मीठा खाने से बचना चाहिए और शुगरफ्री से तो ज्यादा ही बचना चाहिए, क्योंकि जीभ के स्वाद में फंसकर अनेक रोगों को निमंत्रण देना समझदारी नहीं है। सादा और सन्तुलित भोजन करना समझदारी है।
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