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उल्टी को रोकना स्वास्थ के लिए हानिकारक है (there is harmful to stay vomiting)

उल्टी को रोकना स्वास्थ के लिए हानिकारक है (there is harmful to stay vomiting)

उल्टी को रोकना स्वास्थ के लिए हानिकारक है (there is harmful to stay vomiting)

आयुर्वेद के अनुसार हमारे सीने और गले में रहने वाली उदान वायु जब विकृत हो जाती है, तो उसके परिणाम स्वरूप हमें उल्टी होती है। जब हमारे आमाशय में कुछ ऐसे दूषित पदार्थ इकठ्ठा हो जाते हैं, जो हमारे शरीर के लिए हानिकारक होते हैं। ऐसी स्थिति में हमारा मष्तिस्क इन पदार्थों के विरुद्ध एक ऐसी संवेदना उत्पन्न करता है जिससे हमें उल्टी करने का अहसास होता है। इसी को हम वमन या छर्दि कहते हैं। आमाशय में इकठ्ठे दूषित तत्त्व अगर समय रहते बाहर नहीं निकलेंगे तो शरीर में अनेकों घातक बीमारियां होने का खतरा बढ़ जाता है। इसके अलावा भी उल्टी होने के कई कारण होते हैं। जैसे- स्वादिष्ट तरल पदार्थ को ज्यादा मात्रा में पी लें, खराब भोजन को ग्रहण करें, असमय ज्यादा भोजन करें, हमारे शरीर में आमदोष बढ़ा हुआ हो, आमाशय में कृमियों की मात्रा बढ़ गई हो, कुपित हुये दोषों की अवस्था में किए हुए भोजन से, खाने के समय दुर्गन्धित वातावरण से, अरुचिकर सुगन्ध को सूंघने से उल्टी होने की सम्भावना रहती है।

इसके अतिरिक्त आमाशय जन्य विकार जैसे गैस बनना या आमाशय में फोड़ा या सूजन की अवस्था में उल्टी हो जाती है।

उल्टी होने के पहले उसके लक्षण हमें पता चलते हैं जैसे उल्टी के पहले जी मिचलाना मुंह में अधिक पानी आना, मुंह का स्वाद नमकीन होना आदि लक्षण दिखने लगते हैं। ऐसी स्थिति में हमें समझ लेना चाहिए कि हमारे आमाशय में ऐसे हानिकारक पदार्थ जमा हो गये हैं जिनका निकलना अति आवश्यक है और ऐसी स्थिति में उल्टी करना शरीर के लिए लाभदायक रहता है।

इस प्रकार उल्टी होने पर हमारी आंते खिंच जाती है उनमें दर्द होने लगता है तथा नाभि व सिर में भी दर्द होता है। फेन युक्त फटा हुआ काला तथा कसैला पित्त एवं दूषित पदार्थ निकलते हैं। कभी-कभी उल्टी में मूर्छा तथा आंखों से पानी व जलन जैसे लक्षण दिखते हैं।

जब हमारा जी मिचलाये और उल्टी होने की इच्छा हो तो हमें उल्टी रोकनी नहीं चाहिए। क्योंकि उल्टी रोकने से अनेक तरह के उपद्रव खड़े होने की स्थिति रहती है। जैसे त्वचा के रोग, चकत्ते तथा चेहरे के दाग व सूजन एवं पतली लैट्रीन लगना, पाचन क्रिया बिगड़ जाना, त्वचा में पीलापन आना अनेक उपद्रव खड़े होते हैं।
इसके अलावा कुछ लोगों को ट्रेन या बस में सफर से भी उल्टी होती है। ऐसी स्थिति में खाना खाकर सफर न करें या कम खायें।

इस तरह की उल्टियां अगर बार-बार हों तो हल्का विरेचन लेकर कोष्ठ की शुद्धि करें। त्रिफला 1 या दो चम्मच रात्रि में गुनगुने पानी से लें जिससे अधपचा भोजन मलमार्ग से निकल सकें। हरड़ 5 ग्राम का चूर्ण को शहद के साथ खाने से उल्टी में आराम आता है।

पेट में क्रमियों की वजह से भी उल्टी होती है ऐसी स्थिति में कृमियों को नष्ट करने की दवा किसी डाक्टर या वैद्य से लेकर खायें। इससे भी उल्टी आना दूर होता है।

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