रोग अनेक और दवा एक (Disease multiple and drug one)
रोग अनेक और दवा एक (Disease multiple and drug one)
विश्व में अनेक चिकित्सा पद्धतियां हैं और इन सभी पद्धतियों का उद्देश्य रोगों को नष्ट करके जीवों को स्वस्थ बनाना है।आयुर्वेद की चिकित्सा पद्धति सर्वाधिक पुरातन है। यह रोग को जड़ से समाप्त करती है। आयुर्वेदिक दवाओं का सेवन बहुत ही सुरक्षित एवं कारगर रहा है। अधिकांश आयुर्वेदिक दवायें बहुत ही कष्टकारी रोगों को दूर करने में सहायक रही हैं। हमारे यहां के आयुर्वेदाचार्यों का मानना है कि आयुर्वेदिक दवाओं की यह विशेषता रही है कि वह किसी रोग को अगर सही नहीं कर पाती है, तो नुकसान भी नहीं करती है। अर्थात् किसी नये रोग को जन्म नहीं देती है। इसीलिए इन आयुर्वेदिक जड़ी बूटियों का इतना प्रचार हुआ कि इनका प्रयोग भारत में धड़ल्ले से किया जाता है। हम यहां ऐसा ही एक घरेलू नुस्खा लिख रहे हैं। जो गांव के एक बुजुर्ग ने हमें बताया था। इस नुस्खे को कोई भी प्रयोग कर सकता है। इसके सेवन से असमय सफेद होने वाले बाल काले रहते हैं। उदर रोग दूर होता हैं। पाचन क्रिया सामान्य रहती है। कब्ज बनना कम होता है, और दृष्टि तीव्र होती है। शरीर की रोग प्रतिरोधक शक्ति बढ़ती है। यह दवा बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक को लाभ पहुंचाने वाली है। हम यहां पर यह नुस्खा लिख रहे हैं।
निर्गुण्डी के पंचांग का चूर्ण 200 ग्राम, सोंठ का चूर्ण 50 ग्राम, ताजे आंवलें का चूर्ण 200 ग्राम को आपस में मिलाकर ऊपर से 15 भावनायें आंवले के रस की दें। प्रत्येक बार रस की भावना देकर धूप में सुखायें। ध्यान रहे उसमें फफूंद न लगने पाये। जब 15 भावनायें आंवले के रस की हो जाये और वह चूर्ण पूर्ण तरह से सूख जाये तो उसको एक कांच की बरनी में रखें और 500 ग्राम शहद उसमें डालकर मिला दें। प्रतिदिन रात्रि में सोते समय एक चम्मच दवा को खा लें और ऊपर से हल्का गुनगुना पानी एक गिलास पियें। यह दवा बहुत ही उपयोगी है।
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