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निरोगी जीवन कैसे जियें ?

Nirogi jeevan kaise jiye

निरोगी जीवन कैसे जियें ?

हमारे आयुर्वेदिक ग्रंथों के रचयिता ऋषियों ने प्रत्येक मनुष्य को 100 वर्ष तक निरोगी जीवन जीने की कला का ज्ञान दिया था। परन्तु आज हमारा बच्चा जन्म लेते ही अनेकों बीमारियों से ग्रसित जन्म लेता है। साथ ही जन्म के कुछ सालों के अन्दर बच्चों की आंखों में चश्मा लग जाना, डायबिटीज, हार्ट में छेद, अपंगता, मानसिक विकलांगता, आदि अनेकों खतरनाक बीमारियाँ पकड़ लेती हैं। जिससे बच्चा जीवनपर्यन्त मुक्त नहीं हो पाता है।

क्योंकि आज हमारा खान-पान अव्यवस्थित है। आज हमें जो दालें, सब्जियाँ, अनाज खाने को मिल रहा हैं, वह ज्यादातर कीटनाशकों के प्रभाव से प्रभावित है। सब्जियाँ तो विशेषकर कीटनाशक रसायनों से ओत प्रोत है। जो शरीर के लिए अत्यन्त घातक हैं। मच्छरों से बचने के लिए हम जहरीली दवाओं जैसे आल-आउट, गुडनाइट आदि अनेकों जहरीले रसायनों को रात में कमरे में लगाकर मच्छरों को भगाते है। इन जहरीले रसायनों का धुंआ अगर मच्छरों को मार सकता हैं। तो धीरे-धीरे हमारे शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता को भी प्रभावित करता है।

जहां तक हो सके इन रसायनों से बचना है। मच्छरदानी का उपयोग करें, खाने में साबुत दालों, चोकर युक्त मोटा आटा, कम पकी हरी सब्जियों का उपयोग ज्यादा से ज्यादा करें। ज्यादा तली, चटपटी, मसालेदार सब्जियों, तथा ज्यादा चाय का उपयोग न करें। सुबह ब्रम्हमुहूर्त में उठना, खुली हवा में टहलना, सूर्योदय के पहले स्नान, योग, प्राणायाम, ध्यान आदि अपने जीवन में जरूर अपनायें, साथ ही दिन में कुछ कड़ी मेहनत का कार्य अवश्य करें, जिससे शरीर से पसीना जरूर निकले। उस पसीने से जहरीले पदार्थ शरीर से बाहर निकल जाते हैं।

माँ भगवती की साधना उपासना का क्रम प्रत्येक व्यक्ति को अपनाना चाहिये, जिससे हमारा आत्मिक विकास हो सके, हम संस्कारों की यात्रा तय करते हुये, जरा मृत्यु से मुक्त हो उस माँ के धाम (परमधाम) को प्राप्त कर सकें। अपने मन को प्रसन्न रखें, काम, क्रोध, लोभ, मोह से बचें, सचरित्रता को अपने जीवन में अपनायें, दूसरों का बुरा न करें, क्षमाशील बनें।

शराब, मांस, अंडा, बीड़ी, सिगरेट, तम्बाकू, गुटका, अफीम, कोकीन, चरस, गांजा, भांग जैसे अनेकों घातक नशों का सेवन पूर्णतः बन्द कर दें। दिन में पानी पीने की मात्रा बढ़ायें, खाना चबा-चबाकर प्रसन्न मुद्रा में सन्तोष के साथ खायें, मौसमी फलों का सेवन करें, तुलसी के पत्तों का सेवन गौमूत्र अर्क के साथ करें, भूख से अधिक न खायें, कुछ पेट खाली रखें। यही सब नियम आपको आज की परिस्थिति में अपने शरीर को निरोगी रखने में मददगार साबित होंगे।
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