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कैल्शियम, Calcium –

कैल्शियम, Calcium

कैल्शियम, Calcium –

कैल्शियम एक महत्त्वपूर्ण खनिज है, जो हड्डियों और दांतों के लिए अति आवश्यक है। यह इन्हें मजबूती प्रदान करता है। साथ ही, इनके विकास में भी पूर्ण योगदान देता है। इसके अतिरिक्त, यह हृदय को भी बल देता है तथा नसों के निर्माण व ब्लड में थक्के जमने के लिए भी यह मिनरल आवश्यक है। शरीर में पाये जाने वाले कैल्शियम का 95 प्रतिशत से भी अधिक हड्डियों और दांतों में पाया जाता है। शेष 5 प्रतिशत शरीर के अन्य अंगों में पाया जाता है। जब कभी शरीर को कैल्शियम की आवश्यकता पड़ती है, तो वह हड्डियों में एकत्रित कैल्शियम का उपयोग करता है।

शरीर में कैल्शियम की कमी से हड्डियां एवं दांत कमजोर व मुलायम होजाते हैं और इनके टूटने का खतरा बढ़ जाता है। उम्र बढ़ने के साथ-साथ शरीर में कैल्शियम का स्तर घटता है। ऐसी स्थिति में ऑस्टियोपोरोसिस, रिकेट्स व ऑस्टियोमलेसिया होने का खतरा बढ़ जाता है। हड्डियों में थोड़ी सी चोट लगना भी उनके टूटने का कारण बनता है।

हड्डियों के विकास एवं उनमें होने वाली टूट-फूट को सही करने के लिए कैल्शियम एक आवश्यक मिनरल है। उच्च रक्तचाप, कोलेस्ट्रोल तथा गर्भावस्था के समय पैर में हो रहे खिंचाव को कम करने में यह सहायक है। यह रक्तकोशिकाओं के निर्माण के लिए भी आवश्यक है।

कैल्शियम की कमी से महिलाओं, पुरुषों एवं बुजुर्गों के जोड़ों में दर्द होने लगता है। अतः कृत्रिम कैल्शियम लेना पड़ता है। पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं को दोगुना अधिक कैल्शियम की मात्रा लेने की जरूरत होती है, क्योंकि महिलाओं में मासिक धर्म होने तथा प्रसव के समय पर्याप्त मात्रा में कैल्शियम की खपत होती है।

सीमा से अधिक कैल्शियम का सेवन भी शरीर के लिए हानिकारक हो सकता है। इसके अधिक सेवन से गुर्दे की पथरी बनने का खतरा बढ़ जाता है। इसके अलावा उल्टी, चक्कर आना तथा सरदर्द भी एक कारण बन सकता है। इसलिए कृत्रिम कैल्शियम का अधिक उपयोग डॉक्टर की सलाह पर ही करें। कैल्शियम के अच्छे स्रोत हैं दूध, दही, पनीर, चीज, छाछ, हरी पत्तेदार सब्जियां, सरसों का साग, बादाम, ब्रोकली, टोफू (टोफू सोयाबीन से बनाया जाता है) तथा सोया मिल्क, केला, संतरा, तिल, ओटमील (जई का दलिया) में भी कैल्शियम भरपूर मात्रा में पाया जाता है। इसके साथ ही अजवायन का फूल, सोआ, अरगूला तथा व्हाइट बीन्स में भी कैल्शियम पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है। विटामिन ‘डी’ का सेवन कैल्शियम के अवशोषण के लिए अति आवश्यक है। अतः विटामिन ‘डी’ की कमी शरीर में न होने दें।

कैल्शियम का स्त्रोत चूना

चूना कैल्शियम का बहुत बड़ा श्रोत है, परन्तु इसे सीधे नहीं खाया जा सकता है, क्योंकि यह तीक्ष्ण होता है। चूना के सीधे शरीर के सम्पर्क में आने से घाव होने का खतरा रहता है। इसलिए इसकी सूक्ष्म मात्रा ही उपयोग में ली जाती है।

चूने से खाने योग्य कैल्शियम प्राप्त करने के लिए एक मिट्टी के घड़े में 5 लीटर शुद्ध पीने योग्य पानी में 100 ग्राम कली के चूने की डली को डाल दें। 24 घंटे बाद उसे अच्छी तरह पानी में मिला दें और उस बर्तन को ढंक कर रख दें। तीन दिन बाद उस पानी को नितार कर कांच की बर्नी या बोतल में भरकर रख लें।
यह पानी खाने योग्य कैल्सियम से भरपूर हो जाता है, इसी पानी का उपयोग करने से शरीर में कैल्सियम की पूर्ति होती है। 5 ग्राम इस पानी में 10 ग्राम शहद मिलाकर सुबह खाली पेट पियें। कुछ दिनों के उपयोग से आपकी हड्डियां मजबूत हो जाती हैं।

शरीर को पुष्ट एवं तन्दुरुस्त करने के लिए या बुढ़ापे की कमजोरी को दूर करने के लिए हम एक नुस्खा यहां लिख रहे हैं, जो एक जंगली आदिवासी का बताया हुआ है।

एक मिट्टी की हांडी में 200 ग्राम कली वाला चूना डालकर ऊपर से 5 लीटर पानी डाल दें। 10 मिनट बाद कापड़हल्दी की गांठे 500 ग्राम को डालकर उस मिट्टी के बर्तन का मुंह बन्द कर 15 दिन के लिए सुरक्षित स्थान में रख दें, 15 दिन बाद उन हल्दी की गांठों को निकालकर सादे पानी से धोकर धूप में सुखा लें और उन्हें बारीक पीसकर किसी डिब्बे में रख लें। रात्रि में सोते समय 5 ग्राम चूर्ण में 10 ग्राम शहद मिलाकर, 100 ग्राम गाय के दूध के साथ खायें। एक वर्ष तक लगातार खाने से शरीर की हड्डियां मजबूत होती हैं शरीर बलिष्ट होता है चेहरे में लालिया आती है। शरीर में होने वाला दर्द मिटता है, शरीर की कमजोरी मिटती है और भरपूर ताकत आती है।

अनेक रोगो में लाभकारी है चूना

कैल्शियम हड्डियों के लिए बहुत आवश्यक तत्त्व है। हड्डियों को मजबूत बनाता है। इसके अलावा भी शरीर में होने वाली छोटी-छोटी अनेक परेशानियों को दूर करने में भी सहायक है।

गांवों, देहातों में जब किसी व्यक्ति क किसी भी तरह की अन्दरूनी चोंट लग जाती है, घाव खुलता नहीं है सूजन आ जाती है, चोंट वाले स्थान में खून जमा होकर ऊपर चमड़ी में काला पड़ जाता है, तो उस स्थिति में हल्दी, चूना और सज्जीखार को पानी में पीसकर एक कटोरी में डालकर आग में पकाकार चोंट वाले स्थान में गरम-गरम लगाकर ऊपर पट्टी बांध कर हल्का-हल्का सिंकाई करने पर उस स्थान का खून फटकर बिखर जाता है और सूजन सही होकर दर्द सही हो जाता है।

शरीर में कहीं भी आग से जलने पर जलन होती है उस स्थिति में चूने के पानी में अलसी का तेल या देशी मक्खन मिलाकर लगाने से जलन शान्त होती है और कुछ दिन लगातार लगाने से वहां का घाव भी सही होता है।
शरीर के किसी अंग में मकड़ी काट ले, तो उस स्थान में चूने के पानी में नीबू का रस मिलाकर लगाने से वह पर फुन्सियां नहीं पड़ती हैं और वहां की जलन भी शान्त होती है।

जवानी में मुंह में मुहासे या कीले निकलने लगती हैं, उस परिस्थिति में चूने के पानी को शहद व नीबू के साथ मिलाकर कील-मुहासों में लगातार कुछ दिन लगाने से कील-मुहासे धीरे-धीरे सही हो जाते हैं।
शरीर में कहीं भी बदगांठ हो गई हो, तो चूना, शहद और आमाहल्दी मिलाकर लगाने से बदगांठ बिखर जाती है अर्थात बैठकर सही हो जाती है।

सिरदर्द वाले रोगी कली वाला सूखा चूना तथा नौसादर को समभाग में मिलाकर आधा चुटकी नाक से सुंघने से छींके आकर सरदर्द सही होता है।

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