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दर्दनाशक गुण है इस प्रयोग में (there is painkiller quality in this experiment)

दर्दनाशक गुण है इस प्रयोग में (there is painkiller quality in this experiment)

दर्दनाशक गुण है इस प्रयोग में (there is painkiller quality in this experiment)

आयुर्वेद के अनुसार बात पित्त और कफ के सामंजस्य से शरीर स्वस्थ्य रहता है। जब कभी इन की कमी या अधिकता होती है तो शरीर में विषमताएं आनी प्रारम्भ हो जाती हैं। जब शरीर में वात अर्थात वायु की अधिकता होती है, तो हमारे पेट में गैस बनना, शरीर में कहीं भी दर्द हो जाना आदि इसी तरह की अनेक परेशानियां आने लगती हैं। इन सबका कारण हमारा खान-पान है। सुबह सूर्याेदय के पहले न उठना, रात्रि में देर रात सोना, जिससे खाने का समय निर्धारित न होना, चाय, ब्रेड, समोसा, कचौरी, आलूबण्डा, पीजा, बर्गर, चाऊमीन आदि तेलीय खाद्य पदार्थ का अधिक उपयोग, मांसाहार, शराब का सेवन, मिलावटी दूध से बनी मिठाई का उपयोग, कीटनाशक दवाओं का सब्जियों और अनाजों में अधिक उपयोग होना और उन्हीं सब्जियों तथा अनाजों का खाने में उपयोग हमारे लीवर को कमजोर बनाता है।

पेट की आंतों में कीड़े पड़ जाते हैं, जो हमारी आतों को काटते हैं। आंतों की सतह को कीड़ों के काटने व मिलावटी खाना खाने से लीवर में सूजन आ जाती है।

हमारे द्वारा खाया गया खाना पूरी तरह से हजम नहीं होता है, जिससे गैस बनने लगती है। जो पूरे शरीर को प्रभावित करती है। आयुर्वेदिक ग्रन्थों में 80 तरह के बात तथा 84 तरह के वायु रोग बतायें गये हैं। यह सभी रोग सही तरह से खाना न पचने के कारण होते हैं। जब आमासय में खाना पूरी तरह से पचता नहीं है और उसी खाने से निकला दूषित रस नशों द्वारा अवषोषित कर खून में मिला दिया जाता है, जिससे हमारा खून धीरे-धीरे दूषित होने लगता है। यही खून पूरे शरीर में जाता है और अनेक तरह के रोग हमारे शरीर में जन्म लेने लगते हैं।
हमारे एक जानकार वैद्य ने एक प्रयोग हमें बताया था, उस प्रयोग से उन्होंने वायु से पीड़ित अनेक रोगियों को अच्छा किया था,

वह प्रयोग निम्र है
अच्छी हींग 10 ग्राम, सोंठ 10 ग्राम, आग में भूना हुआ सुहागा 10 ग्राम, कालानमक 10 ग्राम, सहिजन (मुनगा) की पत्ती का रस 50 ग्राम।

सर्वप्रथम हींग को सहिजन के रस में घोलकर और उसमें सोंठ, कालानमक और सुहागा का पिसा चूर्ण मिलाकर मटर के बराबर की गोली बनाकर छाया में सुखा लें, एक या दो गोली सुबह नास्ता के बाद मुंह में डालकर धीरे-धीरे चूसते हुये उसका रस निगले, इसी प्रकार रात्रि में खाना खाने के बाद एक या दो गोली लें। दवा की खुराक का निर्धारण रोगी के बलाबल के अनुसार निश्चित करें।

कुछ दिनों के प्रयोग से शरीर के वायु जनित दर्द सही होते हैं, पेट में गैस बनना सही होती है। दर्द ही वजह होने वाली उलझन सही होती है, वायु जनित जोड़ों के दर्द में लाभ मिलता है, खाना भी अच्छी तरह से पचने लगता है। भूख भी खुलकर लगने लगती है। खून का दूषित होना बन्द होता है। पेट के कीड़े समाप्त करने के लिए किसी वैद्य से कीड़े मारने की दवा ले या एलोपैथी टेबलेट किसी डॉक्टर की सलाह से ले। इस दवा के सेवन से पहले कीड़े मारने की दवा अवश्य लें तभी इस दवा का पूर्ण प्रभाव मिलेगा।

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