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समलैंगिकता एक मानसिक विकृति है (Homosexuality is mental problem)

समलैंगिकता एक मानसिक विकृति है (Homosexuality is mental problem)

समलैंगिकता एक मानसिक विकृति है (Homosexuality is mental problem)

प्रकृतिसत्ता ने इस सृष्टि को दो रूपों में स्थापित किया है। दिन बनाया है, तो उसके साथ रात को भी जोड़ा है। अच्छाई के साथ बुराई को खड़ा किया है। कृति बनाई है, तो उसके साथ विकृति को भी खड़ा किया है। मानव को स्वतंत्र रूप से किसी को भी चुनने का मौका दिया है। हम अच्छा चुनेंगे, तो सुखी एवं खुशहाल रहेंगे और गलत रास्ते में चलने पर क्षणिक सुख के बाद परेशानियां बढ़ जायेंगी। सेक्स या यौनेच्छा प्रकृति द्वारा प्रदत्त प्रत्येक प्राणी का स्वाभाविक गुण है। इससे प्रकृतिसत्ता प्राणियों के जीवन-मरण के चक्र को सुचारू रूप से संचालित करती है।
विपरीत लिंगों का एक-दूसरे के प्रति झुकाव प्राकृतिक गुण है। दो लिंगों का निर्माण ही यह सिद्ध करता है कि किसी एक लिंग से पूर्णता संभव नहीं है। दोनों लिंगों के मिलने से ही प्रकृति का कार्य सुचारू रूप से चलता है। यही मिलन जब समलिंगी हो जाता है, तो समाज में अनेक परेशानियां खड़ी होने लगती हैं। यही विकृति क्षणिक सुख देने के साथ ही अनेक महामारियां पैदा करने लगती है।

जहां सामाजिक दृष्टि से समलैंगिक सम्बन्ध अनैतिक है, वहीं वैज्ञानिक दृष्टि से भी अस्वास्थ्यकारक है। समलैंगिकता मानसिक विकृति है, जो सामाजिक ताने-बाने को खराब करने वाली है तथा अनेकों बीमारियों को न्योता देने वाली है। समलैंगिकता से होने वाली बीमारियों के आंकड़े देखने पर बड़ा ही डरावना दृश्य दिखता है।

  • सामान्य से 50 गुना ज्यादा पुरुष समलैंगिकों को कैंसर होने का खतरा रहता है। इनमें गुदा कैंसर सबसे ज्यादा होता है। जो बहुत ही पीड़ा दायक होता है।
  • एड्स के वायरस गुदा के अन्दर की झिल्ली में अधिक समय तक रहते हैं, जिसकी वजह से पुरुष समलैंगिकों में एड्स के जल्दी फैलने की स्थिति बनती है।
  • समलैंगिकों में गुदा व मलाशय के रोग सामान्य की अपेक्षा कई गुना अधिक होते हैं। गुदा के अन्दर बवासीर के मस्से तथा भगन्दर होना आम बात है।
  • एक तिहाई समलैंगिकों को सिफलिस रोग हो जाता है तथा कुछ गोनोरिया से भी पीड़ित हो जाते हैं।
  • पुरुष समलिंगी जब विपरीत लिंगी के सम्पर्क में आते हैं, तो उन्हें भेंट स्वरूप अनेक रोग मुफ्त में ही दे देते हैं। इसी प्रकार स्त्री समलैंगिक भी अनेक रोगों से ग्रसित होते हैं तथा कुछ समय बाद शारीरिक एवं मानसिक परेशानी से गुजरते हैं।
  • स्त्री समलैंगिकों में ब्रेस्ट कैंसर होने की सम्भावनाएं अधिक होती हैं।
  • इनमें अनेक प्रकार के यौन विकार उत्पन्न हो जाते हैं, जो बहुत ही घातक होते हैं।
  • इनमें अधिकांश बंध्यत्व की शिकार हो जाती हैं।
  • इनमें ओवेरियन कैंसर होने की अधिक संभावना रहती है।

अतः समलिंगी बनना बहुत ही खतरनाक है। ऐसी परिस्थितियों से बचें, तो ही अपना व समाज का कल्याण होगा और आप सभी सुखमय जीवन जी सकेंगे। समाज में सिर उठाकर चलेंगे।

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