कष्टकारी रोग है, अफारा (फ्लैचुलेंस)
कष्टकारी रोग है, अफारा (फ्लैचुलेंस) Flatulence is painful disease
बार-बार पेट में अजीर्ण बनना पेट में मल बढऩा मंदाग्रि बनी रहना, पेट में ऑब बनना तथा पेट में गैस बनना जो डकार के रूप में मुंह से बार-बार बाहर निकलना एवं गुदा से भी गंदी गैस का बार-बार निकलना आदि उपद्रव लगातार होते रहते है।इस रोग में पेट में कब्ज बराबर बनी रहती है, पेट में गैस बनती है और पेट फूल जाता है, जी घबराता है। गले एवं सीने में जलन होती है, सरदर्द, सिर चकराना एवं हृदय की धड़कन बढऩा आदि अनेक उपद्रव होने लगते है।
इस रोग का उपचार समय रहते करना अति आवश्यक है। इस रोग की असाध्य अवस्था में बमन से तीव्र दुर्गन्ध आने लगती है मन बेचैन रहता है। भूख नहीं लगती है, आमासय में सूजन आ जाती है। इस रोग के होने के अनेक कारण है।
प्रथम कारण पेट में कृमि का हो जाना जो बड़े-बड़े हो जाते है। इन कृमियों की लम्बाई 6 इंच से 15 इंच तक लम्बे हो सकते है। यह कीड़े आप के आमासय में रहते हुये आप द्वारा खाया हुआ खाना खाते है। इसके साथ ही जब हम समय से खाना नहीं खा पाते है तो भी इन कीड़ों को खाना चाहिए होता है उस परिस्थिति में यह आमाशय की दीवारों को काट कर चोंट पहुंचाते है, जिससे आमाशय का खाना पचाने का कार्य बाधित होता है।
दूसरा कारण आज का खान-पान है समोसा, आलूबण्डा, चाट, पकौड़ा, ज्यादा तली चीजें खाना, गलत समय खाना खाना, इससे भी खाना पचने में परेशानी रहती है।
इन सभी कारणों को देखते हुए सर्वप्रथम हमें अपने खानापान में सुधार करने की जरूरत रहती है इसके साथ ही किसी डॉक्टर से मिलकर पेट के कीड़े की दवा खाये जिससे कीड़े समाप्त हो सकें। जब कीड़े समाप्त हो जाये, तो पेट की दवा करनी चाहिए। खाने में चोकर युक्त मोटे आटे की रोटिया खाये। सलाद अधिक खाये, मौसमी फलों का सेवन करें। रात्रि में 20 मुनक्का में गुलाब के फूल डालकर खाये।
दिन में खाना खाने के एक घण्टे पहले हिंगवस्टक चूर्ण 1 ग्राम खाये तथा खाना खाने के बाद लवण भास्कर चूर्ण 1 ग्राम खाये। दिन में पानी ज्यादा से ज्यादा पियें।
खाना कम खाये। खाने में नीबू व कालानमक का प्रयोग करें, इससे धीरे-धीरे अफारा सही होता है।
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