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समस्त रोगों की जड़ कब्ज The root cause of all diseases is constipation

समस्त रोगों की जड़ कब्ज


समस्त रोगों की जड़ कब्ज  The root cause of all diseases is constipation

जिस प्रकार प्रकृतिसत्ता एक होने पर भी संसार में अनेकों नामों से पूजी जाती है। उसी प्रकार से रोगों का प्रमुख कारण तथा रोग एक होने के बावजूद विजातीय पदार्थो का भिन्न-भिन्न स्थानों में विभिन्न मात्राओं व अवस्थाओं में एकत्रित होना ही अलग-अलग रोगों का कारण है। जैसे -मल, कफ, चर्बी, आंव, पीप आदि अनेक विजातीय पदार्थ या विष है। शरीर के सामान्य रोगों की जड़ पेट है, यदि हम उचित भोजन उचित तरीके से और उचित मात्रा में करें और भोजन पूरी तरह से हजम हो जाये और उसका ठीक से रस, खून, मांस, मज्जा, वीर्य, हड्डी आदि बने, शेष भाग नित्य मल के रूप में निकल जाये तो फिर रोग कैसा ? 

ऐसा होता कहां है। खान-पान की अनियमितता की वजह से जब शरीर का संतुलन जो वात, पित्त, कफ के रूप में होता है। वह बिगड़ जाता है या असंतुलित हो जाता है तो खाना सही से नही पचता है। आमरस दूषित हो जाता है और यही आमरस पूरे शरीर मे जाकर पूरे शरीर को दूषित करता है जिससे शरीर में अनेको रोगों की उत्पत्ति होती है। खान-पान की अनियमितता जैसे समय से न खाना, या अधिक चटपटा, तला हुआ, मिर्च मसाले वाला, मांस भक्षण, शराब सेवन, तम्बाकू, गुटका आदि खाने से, इसलिए प्रत्येक मनुष्य को अपने खान-पान को पूर्ण शाकाहारी बनाते हुये पेट के मुख्य रोग कब्ज को दूरकर स्वस्थ जीवन जीने की आदत डालनी चाहिए। यहां हम कब्ज को दूर रखने के उपाय बता रहे हैं।


1 - ज्यादा तेल, घी आदि से बनी चीजों का सेवन न करें ।

2 - ज्यादा लाल मिर्च, गरिष्ट भोजन, बादी चीजें, बासी भोजन न करें ।

3 - खाने में हरी सब्जी, सलाद का अधिक सेवन करें ।

4 - मौसम के अनुसार फलों का उपयोग जरूर करें ।

5 - प्रत्येक वर्ष पेट के कीड़े खत्म करने की दवा अवश्य खायें।

6 - प्रतिदिन प्राणायाम करंे (गहरी श्वांस अन्दर लेना एवं कुछ देर रोक कर धीरे-धीरे बाहर निकाल देना यह क्रिया 20 से 30 बार करें)।

7 - प्रतिदिन भस्त्रिका प्राणायाम 50 से 60 बार अवष्य करें (भस्त्रिका प्राणायाम में पूरी सांस अन्दर खीचें एवं पूरे फोर्स से बाहर निकालें यह क्रिया जल्दी जल्दी करें ) कृपया ध्यान दें जन्हें हार्ट की या श्वांस (दमा) की परेशानी हो व गर्भवती महिला हो, वे न करें।

8 - शारीरिक व्यायाम, योग आदि अवश्य करें।9 - प्रतिदिन सुबह छोटी हरड़ का चूर्ण 2 ग्राम को गौमूत्र अर्क 10 ग्राम के साथ लें।

10 - पीने में पानी की मात्रा बढ़ायें।

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