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वर्षाऋतु में होने वाले रोग एवं उनसे बचाव

Diseases from rain and solutions


वर्षाऋतु में होने वाले रोग एवं उनसे बचाव (Diseases from rain and solutions)

जहां समस्त पृथ्वी को जल से सराबोर करती है चारों तरफ हरियाली बिखेरती है, मन में प्रसन्नता लाती है। किसानों के चेहरों में खुशी की लहर दौड़ाती है। वहीं बिन बुलाये मेहमान की तरह अनेक रोग भी आ धमकते हैं।
वर्षा ऋतु में अग्रि मन्द हो जाती है जिससे पाचन क्रिया कमजोर हो जाती है, इस समय गरिष्ठ भोजन से बचना चाहिये। वर्षाऋतु में पत्ता वाली सब्जियां, जड़ वाली सब्जियां, दही का सेवन नहीं करना चाहिये। बासी खाना, खराब खाना, नहीं खाना चाहिये।

खाना खाते समय अदरक, हरी मिर्च, लहसुन, कालानमक की चटनी बनाकर उसमें नीबू का रस डालकर खाना चाहिये इससे जठराग्नि बढ़ती है और पाचनक्रिया बलवान बनती है। वर्षाऋतु में सीजनल फल जैसे आम, जामुन का सेवन जरूर करें यह फल लाभदायक होते हैं।

वर्षाऋतु में वात जनित दोषों की अधिकता होती है, गैस का बनना बढ़ जाता है शरीर के जोड़ों में दर्द होने लगता है, अदरक और लहसुन का सेवन लाभदायक है। जोड़ों के दर्द में महानारायण तेल की मालिस भी लाभदायक होती है। पेट में दर्द और पेचिस होने की स्थिति में अमृत धारा या लक्ष्मण धारा की 5 या 6 बूंदे जल में मिश्रित कर दिन में तीन बार पियें इससे पेट से गैस निकलकर दर्द सही होगा और पेचिस में भी आराम मिलेगा। वर्षाऋतु में बरसते पानी से कई बार भीगने पर बुखार आ जाता है जिसे आधुनिक विज्ञान वायरल फीवर कहता है। ऐसी स्थिति में तुरन्त डाक्टर से मिलकर सम्बन्धित रोग की दवा का सेवन अवश्य करें। अगर वर्षा के पानी में भीग ही जायें तो जल्दी ही गीले कपड़ों को उतार कर सूखे कपड़ों को पहन लें। अन्यथा सर्दी-जुकाम होने का खतरा बढ़ जाता है, इसके बाद भी यदि सर्दी-जुकाम हो ही जाये, नाक से पानी बहने लगे तो एक चम्मच अदरक के रस में दो चम्मच शहद मिलाकर सुबह एवं शाम को चाट ले या तीन लौंग कच्ची और तीन लौंग आग में भून लें, तत्पश्चात इन लौंगों को पीसकर दो चम्मच शहद में मिलाकर सुबह चांटें एवं इसी तरह की खुराक रात्रि में सोते समय लें दो या तीन दिन में सर्दी-जुकाम सही हो जायेगा। वर्षाऋतु में तीन काली मिर्च का पिसा हुआ चूर्ण प्रतिदिन सुबह पानी से लेने पर भी सर्दी-जुकाम की शिकायत नहीं होती है। दवा का सेवन जितना रोग में लाभदायक होता है उससे ज्यादा परहेज लाभदायक होता है। परहेज से जहां दवा को रोग दूर करने में मदद करती है वही अगर हम रोग के अनुसार परहेज करें तो दवा लेने की जरूरत भी कम पड़ती है।

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